
हिंदू धर्म का कैलेंडर उत्तर भारत में पूर्णिमा से बदलता है. वर्तमान महीना मार्गशीर्ष चल रहा है, मार्गशीर्ष पूर्णिमा खत्म होते ही पौष महीने की शुरुआत हो जाती है. हिन्दूओं के वैदिक पंचांग में दसवें महीने को पौष माह कहा जाता है. पौष मास को पूस के नाम से भी जाना जाता है क्योकि पुष्य नक्षत्र में इस महीने की पूर्णिमा होती है. वैदिक पंचाग के अनुसार, इस साल पौष माह की शुरुआत 16 से दिसंबर से होगी. वहीं, इस मास का समापन अगले साल यानी 13 जनवरी 2025 को होगा. पौष माह में पड़ने वाले सभी व्रत-त्योहारों का विशेष महत्व है, इसमें सफला एकादशी, सोमवती अमावस्या, गुरु गोबिंद सिंह जयंती, महाकुंभ मेला, पुत्रदा एकादशी इत्यादि व्रत त्यौहार पड़ेंगे.
पौष मास को भगवान सूर्य को समर्पित माना गया है, पौष मास में भगवान विष्णु की आराधना का भी विशेष महत्व है. पौष माह में सूर्य देव और पितरों की पूजा-अर्चना करनी चाहिए. धार्मिक मान्यता है कि इस महीने में सूर्य देव की उपासना करने से सुख सम्पत्ति आती है और पितृ दोष से छुटकारा मिलता है. इस मास को छोटा पितृ पक्ष भी कहा जाता है.
पौष महीने के व्रत त्यौहार –
- संकष्टी गणेश चतुर्थी- बुधवार, 18 दिसंबर 2024
- कालाष्टमी- रविवार, 22 दिसंबर 2024
- क्रिसमस, मदन मोहन मालवीय जयंती- बुधवार, 25 दिसंबर 2024: बुधवार
- सफला एकादशी- गुरुवार, 26 दिसंबर 2024
- प्रदोष व्रत- शनिवार, 28 दिसंबर 2024
- मासिक शिवरात्रि- रविवार, 29 दिसंबर 2024
- सोमवार अमावस्या, सोमवार व्रत- 30 दिसंबर 2024
- नव वर्ष , चंद्र दर्शन- बुधवार, 01 जनवरी 2025
- शक्रवार वरद चतुर्थी- 03 जनवरी 2025
- रविवार षष्ठी- 05 जनवरी 2025
- गुरु गोबिंद सिंह जयंती- सोमवार, 06 जनवरी 2025
- दुर्गाष्टमी व्रत- मंगलवार, 07 जनवरी 2025
- वैकुंठ एकादशी , पौष पुत्रदा एकादशी- शुक्रवार, 10 जनवरी 2025
- कूर्म द्वादशी व्रत, प्रदोष व्रत- शनिवार 11 जनवरी 2025
- राष्ट्रीय युवा दिवस,स्वामी विवेकानंद जयंती – रविवार, 12 जनवरी 2025
- पौष पूर्णिमा , माघ स्नान प्रारंभ, लोहड़ी (लोहरी)- सोमवार 13 जनवरी 2025