
ब्रह्मसूत्र – अणुश्च ।।2.4.13।
हे परमाणु, हे विभु !
तुम्हारे बिना कोई तत्व नहीं बनता
कोई सृष्टि नहीं होती.
जब तुम 6 कार्बन के और 6 हाईड्रोजन के मिलते हो
तब बेन्जीन कहलाते हो
तुमने महर्षि केकुले को सर्प रूप में दर्शन दिया था.
हे परमाणु बम रूप महाकाल !
हे सिद्धि प्रदायक भैरव !
तुम्हारी जय हो, हम तुम्हे सिरसा नमस्कार करते हैं.