
दीपदान एक महत्वपूर्ण उपाय है. यदि इसे विधिपूर्वक किया जाय तो उसका फल अवश्य मिलता है. यहाँ दुर्गा माता को दीपदान कैसे किया जाता है उसका वर्णन किया गया है. चार इंच ऊँचे और 16 इंच लम्बे पीठ पर कलश स्थापित करें और उसपर देवी माता दुर्गा की प्रतिमा को स्थापित करें या पूजित विग्रह के समक्ष या शक्ति पीठ में करें. दीप को षटकोण बनाकर उस पर अक्षत रख कर तब दीपक स्थापित करें.
तेरह मुख वाले तेरह दीपक रखे या तेरह दीपक थाल में सजा कर रखें या कमसे कम एक बड़े दीपक में तेरह बत्ती का दीपक लगायें. तेरह दीपक में 11 -11 बत्ती लगाये तो 143 बत्ती का दीपक हुआ. अब सभी रोग निवारण या कामनाओं कि पूर्ति के लिए संकल्प लें और दीपदान दुर्गा माता को करें .
इसके उपरान्त गुरु का ध्यान करके दुर्गा पूजन प्रारम्भ करें. दुर्गा पूजन करके शप्तशती का 9 पाठ करें. यदि शप्तशती पाठ नहीं करने आता तो सिर्फ दुर्गा शप्तश्लोकी का ही 108 पाठ करे. हर पाठ पूरा होने पर एक विल्ब पत्र देवी को अर्पित करें. पाठ हो जाने के बाद देवी को पुष्पांजली प्रदान करें और पायस अर्थात खीर का भोग अर्पित करके आरती करें. देवी को भूमि पर लेट कर प्रणाम करें और अपने रोगनिवृत्ति या कामनापूर्ति के लिए के लिए प्रार्थना करें. इसके बाद कन्या भोजन कराएँ, उन्हें दान देकर संतुष्ट करें.