
देवगुरु बृहस्पति के दोष निवारण के लिए बस एक बार रोज इस स्तोत्र का श्रद्धा पूर्व पाठ करें. इस स्तोत्र का पाठ ब्रह्म मुहूर्त में नहाधोकर, शिव या विष्णु पूजन करके इस स्तोत्र का पाठ करें. यह स्तोत्र अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र हैं. इसके एक पाठ मात्र से देव गुरु बृहस्पति प्रसन्न होते हैं और अभीष्ट की प्राप्ति कराते हैं.
अखंड–मंडलाकारं व्याप्तं येन चराचरम् । तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्री गुरवे नमः।
देवगुरु मन्त्र स्तोत्र –
नमोऽस्त्वनन्ताय सहस्रमूर्तये सहस्रपादाक्षिशिरोरुबाहवे । सहस्रनाम्ने पुरुषाय शाश्वते सहस्रकोटियुगधारिणे नमः ॥ १॥ नमः कमलनाभाय नमस्ते जलशायिने । नमस्ते केशवानन्त वासुदेव नमोऽस्तु ते ॥ २॥ वासनाद्वासुदेवस्य वासितं भुवनत्रयम् । सर्वभूतनिवासोऽसि वासुदेव नमोऽस्तु ते ॥ ३॥ शङ्करं शङ्कराचार्यं केशवं बादरायणम् । सूत्रभाष्यकृतौ वन्दे भगवन्तौ पुनः पुनः ॥ ४॥ ईश्वरो गुरुरात्मेतिमूर्तिभेदविभागिने । व्योमवद्व्याप्तदेहाय दक्षिणामूर्तये नमः ॥ ५॥