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हर साल कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है. यह वैष्णव सम्प्रदाय की सबसे महत्वपूर्ण एकादशी है. इस दिन भगवान विष्णु योग निंद्रा से जागते हैं और इसके बाद से सभी मांगलिक कार्य भी शुरू हो जाते हैं. देवशयनी एकादशी के बाद चातुर्मास लग जाने से मांगलिक कार्य बंद रहते हैं. इसकी शुरुआत इसी एकादशी से होती है. इस एकादशी को प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है क्योकिं देवताओं का प्रबोधन किया जाता है. विष्णु को योगनिद्रा से जगाने के लिए घण्टा, शंख, मृदंग आदि वाद्यों की मांगलिक ध्वनि के बीच ये श्लोक पढ़ा जाता है-

उत्तिष्ठोत्तिष्ठगोविन्द त्यजनिद्रांजगत्पते।
त्वयिसुप्तेजगन्नाथ जगत् सुप्तमिदंभवेत्॥
उत्तिष्ठोत्तिष्ठवाराह दंष्ट्रोद्धृतवसुन्धरे।
हिरण्याक्षप्राणघातिन्त्रैलोक्येमंगलम्कुरु॥
हरि-प्रबोधिनी (देवोत्थान) एकादशी का व्रत करने से एक हजार अश्वमेध यज्ञ तथा सौ राजसूय यज्ञों का फल मिलता है. इस एकादशी के व्रत से सब पाप भस्म हो जाते हैं तथा व्रती मरणोपरान्त बैकुण्ठ जाता है. इस दिन विष्णु ज

एकादशी मुहूर्त –

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 11 नवंबर की शाम 6 बजकर 46 मिनट पर होगी. इस तिथि की समाप्ति अगले दिन यानी 12 नवंबर को 4 बजकर 14 मिनट पर होगी. उदयातिथि को देखते हुए इस साल देवउठनी एकादशी का व्रत 12 नवंबर को ही रखा जाएगा.