पौराणिक ग्रंथों में उल्लेख है कि मंगल का जन्म भगवान शिव के तेज से हुआ है. मंगल का पालन-पोषण भू-देवी अर्थात पृथ्वी द्वारा किया गया. मंगल को भूमिपुत्र या भौम इसीलिए कहा जाता है. शिव की कृपा से ही मंगल को ग्रह रूप बबी प्राप्त हुआ था. मंगल रौद्र रूप वाले हैं और अग्नि तत्वात्मक हैं. मंगल एक क्रूर ग्रह है लेकिन यह व्यक्ति के साहस, पराक्रम, ताकत, भाई, भूमि, नेतृत्व, युद्ध और उदारता इत्यादि का भी कारक है. मंगल यदि अशुभ हो तो अत्यंत पीड़ादायक होता है. नीच और अस्त मंगल के अशुभ परिणाम ही मिलते हैं. बुध की राशि में यह अशुभ फल देता है क्योकि बुध इसका शत्रु है. मंगल के कारण ऋण बाधा, हानि, सन्तान बाधा, मानसिक विकार, गर्भ हानि, क्रोधी स्वभाव, बलात्कार, बड़ो का निरादर, पति-पत्नी में कलह इत्यादि होते हैं.
अशुभ मंगल के लिए मंगल का व्रत एक साल तक करना चाहिए और मंगल के मंगलकारी और कल्याणकारी स्वरूप और स्वभाव को उज़ागर करने वाले उनके 21 नामों द्वारा प्रतिदिन पूजन करना चाहिये. इन नामों का नित्य उच्चारण करने पर मंगल के अशुभ परिणामों में कमी आ जाती है. मंगल के द्वादश नाम स्कन्दपुराण में भृगु मुनि ने बताये हैं.
इन नामों के आदि में ॐ लगाकर मंगल का सिंदूर या कुमकुम का उर्ध्व त्रिकोण बनाकर उस पर लाल रंग में रंगे अक्षत से पूजन करना चाहिए. पहले गणेश को प्रणाम कर लेना जरूरी है या पंचोपचार पूजन कर ले. साथ में दायीं तरफ एक ताम्बे के लोटे में जल, कुमकुम, लाफ फुल और लाल अक्षत डाल कर रख लेना चाहिए. इन 21 नामों से अक्षत द्वारा त्रिकोण में पूजन करना चाहिए.
1. ॐ मंगलाय नम: · 2. ॐ भूमि पुत्राय नम: · 3. ॐ ऋण हर्त्रे नम: · 4. ॐ धनप्रदाय नम: · 5. ॐ स्थिरआसनाय नम: · 6. ॐ महाकायाय नम: · 7. ॐ सर्वकर्मबोधकाय नम: · 8. ॐ लोहिताय नम: 9-ॐ लोहिताय नम: 10-ॐ लोहिताक्षाय नम: 11-ऊं सामगानकृपाकराय नम: 12-धरात्मजाय नम: 13-ॐ कुजाय नम: 14-ॐ भौमायै 15-भूमिनन्दनाय नम: 16 ॐ अंगारकाय नम: 17-ॐ यमाय नम: 18-ॐ सर्वरोगापहारकाय नम: 19- ॐ वृष्टिकर्त्रे नम: 20-ॐ वृष्टि हर्त्रे नम: 21-ॐसर्वकामफलप्रदाय नम: 22-ॐ आराय नम: 23-ॐ वक्राय नम: 24-ॐ भूमिजायै नम:
पूजन के बाद सामने एक थाली रख लें और उसमे दो फल रखें. आसन पर घुटनों के बल खड़े होकर फल पर मंगल देव का नाम लेते हुए अर्घ्य दे. अर्घ्य के बाद मंगल का यह श्लोक पढ़ें –
ॐ धरणीगर्भसंभूतं विद्युतकान्तिसमप्रभम।
कुमारं शक्तिहस्तं तं मंगलं प्रणमाम्यहम।।
मंगल को दंडवत होकर प्रणाम करें और क्षमायाचना करें. यह हर मंगलवार को करें. मंगलवार के दिन मूंगा, लाल मसूर, गुड़, गेंहू, लाल कपड़ा, लाल फूल ताम्बा का किसी ब्राह्मण को पूर्ण श्रद्धा से दक्षिणा सहित दान करें. इससे मंगल ग्रह के अशुभ फल दूर होते है और मंगल जनित अनिष्टों का नाश होता है.

