यदि जन्म कुंडली में सूर्य अनिष्ट हो या लग्न या सातवें घर में हो या दु:स्थान में हो तो सर्वप्रथम सूर्य को अर्घ्य प्रदान करके फिर उनकी पूजा करें. पूजा में लाल पुष्प प्रयोग करें. पूजा के बाद उनके 21 नामों वाला यह स्तोत्र पढना चाहिए और सूर्य गायत्री “ॐ आदित्याय विद्महे दिवाकराय धीमहि तन्नो सूर्य: प्रचोदयात्” का 108 बार प्रतिदिन जप करना चाहिए. यदि सूर्य दु:स्थान में है तो रोग, कष्ट, हताशा और आत्मविश्वास में कमी होती है.
विकर्तनो विवस्वांश्च मार्तण्डो भास्करो रविः।
लोक प्रकाशकः श्री माँल्लोक चक्षुर्मुहेश्वरः॥
लोकसाक्षी त्रिलोकेशः कर्ता हर्ता तमिस्रहा।
तपनस्तापनश्चैव शुचिः सप्ताश्ववाहनः॥
गभस्तिहस्तो ब्रह्मा च सर्वदेवनमस्कृतः।
एकविंशतिरित्येष स्तव इष्टः सदा रवेः॥
‘विकर्तन, विवस्वान, मार्तण्ड, भास्कर, रवि, लोकप्रकाशक, श्रीमान, लोकचक्षु, महेश्वर, लोकसाक्षी, त्रिलोकेश, कर्ता, हर्त्ता, तमिस्राहा, तपन, तापन, शुचि, सप्ताश्ववाहन, गभस्तिहस्त, ब्रह्मा और सर्वदेव नमस्कृत. ये सूर्य देव के 21 पवित्र नाम हैं. इन मन्त्रों पान के पत्ते पर लिख कर भगवान को अर्पित करने से भी दोष कम होते हैं. प्रतिदिन सुबह नाम द्वारा पूजन करके सुविधानुसार गेहूं, मसूर, गुड़, ताम्बे का कोई पदार्थ या घी भरा कटोरा दान करें.

