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हर महीने दो चतुर्थी तिथियां आती हैं, एक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी और दूसरी शुक्ल पक्ष की चतुर्थी. कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं. कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी विनायक चतुर्थी है. इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है. इस दिन भगवान गणेश की व्रत सहित पूजा करने से वे प्रसन्न होते हैं और भक्तों कि इच्छित मनोकामनाओं को पूरा करते हैं. विनायक चतुर्थी व्रत के दिन चंद्रमा को देखना वर्जित है. इस दिन चंद्र दर्शन नहीं करना चाहिए, मान्यता है कि ऐसा करने से कलंक लगता है. गणेश जी की इस दिन विधि पूर्वक पूजा करना चाहिए और उनके प्रिय भोग अर्पित करना चाहिये. गणेश जी बुद्धि के देवता हैं इसलिए उनकी पूजा से कमजोर बुध के दोष को खत्म होते हैं. अशुभ बुध के कुप्रभाव से बचने के लिए गणेश की 21 दूर्वा से पूजा करें. एक एक दूर्वा मन्त्र के साथ गणेश जी को अर्पित करें.

विनायक चतुर्थी मुहूर्त –
पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरूआत 4 नवंबर को रात में 11 बजकर 24 मिनट पर हो रही है. इस तिथि का समापन 5 नवंबर को 12 बजकर 16 मिनट पर होगा. उदयातिथि के आधार पर विनायक चतुर्थी का व्रत 5 नवंबर दिन मंगलवार को रखा जाएगा.