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हैलोवीन ईसाई धर्म में मृतकों के प्रति सम्मान प्रदर्शित करने का त्यौहार है. यह आधुनिक युग में सबसे प्रसिद्ध उत्सव है और पश्चिम के देशों में इसे वृहद पैमाने पर मनाया जाता है. यह उत्सव 31 अक्टूबर को शुरू होता है और 2 नवम्बर को खत्म होता है . यह उत्सव कई दिन तक चलता है और इसमें ईसाई भूत-प्रेत बन कर परेड करते हैं तथा पितरो के प्रति सम्मान प्रदर्शित करते हैं. हिन्दू धर्म में कृष्ण चतुर्दशी मृतकों (यम तिथि) की तिथि है और अमावस्या पितरों की तिथि है. पश्चिम बंगाल में भूत चतुर्दशी मनाई जाती है. बंगाल के लोग इस दिन दीपक जलाकर मृतकों को आमंत्रित करते हैं और उन्हें उनके पसंद के भोज्य पदार्थ अर्पित करते हैं. ईसाई चंद्रमा आधारित कलेंडर को नहीं मानते, उनके उत्सव सायन सूर्य के गोचर पर आधारित है. हैलोवीन उत्सव के समय में सूर्य वृश्चिक राशि में रहता है.

हैलोवीन ईसाईयों द्वारा शहीद संतों की याद में मनाया जाता है जिन्हें पवित्र किया है अर्थात जिन्होंने ईश्वर के नाम पर खुद अर्पित किया था और शहीद हुए थे. यह पितृ पूजा की ही तिथि है जिसमे ईसाई मृतकों को उनकी चीजे अर्पित करते हैं. ईसाई खोखली से बने लालटेन बनाते हैं जो मूल रूप से मृतकों की आत्माओं का प्रतिनिधित्व करते हैं. हैलोवीन की उत्पत्ति सैमहिन के सेल्टिक (Celtic) उत्सव में है जो नई फसल के होने पर मनाया जाता था जिसमे वे अपने पितरों को भोगआदि अर्पित करते थे और दीप जलाते थे. यह ईसाई कलेंडर से 1 नवंबर को पड़ता था. ऑल हैलोज़ ईव पर ईसाई प्रार्थना करने के लिए कब्रिस्तान जाते हैं और अपने प्रियजनों की कब्रों पर फूल और मोमबत्तियाँ रखते हैं. प्राचीन ब्रिटेन और आयरलैंड में मनाया जाता था. सूर्य वृश्चिक राशि में होता है तब यह उत्सव मनाया जाता है. यह एक धार्मिक उत्सव है लेकिन कुछ वर्षों में इसका स्वरूप सेक्युलर भी हुआ है.