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राहु के फल का निर्णय सबसे कठिन है और चरित्र का निर्णय भी आसान नहीं होता. राहु भावों और राशियों के साथ युति, दृष्टि का भी फल दिखलाता है तो उसका समग्र फल क्या होगा यह निर्णय करना थोड़ा कठिन होता है. वर्ग कुंडलियों के अवलोकन से भी इसका निर्णय करना आवश्यक है.
सुतौ ये ये भावाधिपा जन्मनी राहुणायत्ता / सौम्यग्रह युक्ता विज्ञेया भाव फल घातय:
राहु के फल निर्णय में यह सिद्धांत भी लागू करना चाहिए. जब राहु के साथ कोई शुभ ग्रह हो तो जिस हॉउस का वह स्वामी है उसका फल घटेगा, उसकी हानि होगी. इस कुंडली में राहु शुक्र के साथ है और राहु मीन में है तो राहु आठवे भाव की शुक्र की दो राशियों की और गुरु की भी दो राशियों पंचम भाव, द्वादश की भी विशेष हानि करेगा. जातक का काम में मन नहीं लगेगा, उसकी बुद्धि में भ्रम होगा, सोचने की क्षमता कम होगी, कठिनाई आएगी, उसका पराक्रम कम होगा, शिक्षा बाधित होगी इत्यादि फल होंगे. यदि कोई ग्रह राहु के मुख में है तब उसका नुकसान ज्यादा हो सकता है.

यदि दृष्टि सम्बन्ध हो तो जिस ग्रह के साथ होगा उसकी राशियों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ना सम्भव है. राहु के साथ कोई ग्रह 7 अंश के भीतर हो या गूढ़ युति में हो हानि ज्यादा हो सकती है. सिर्फ यही नहीं, राहु उसकी नवांश राशि का भी फल खराब करेगा. लग्न के मध्य में स्थित राहु यदि किसी कारक ग्रह या भाव स्वामी के साथ हो तो अक्सर जातक को बाधाएं आती देखी गई हैं. राहु कुछ योगों में भाग्य नाश का कारक बन जाता है. कुछ भी करने पर सफलता नहीं मिलती. कालसर्प योग को भी विशेष सावधानी के साथ देखना चाहिए. सब कुछ का विश्लेषण करके तब निर्णय करना चाहिए. राहु के सन्दर्भ में विशेष सावधानी की जरूरत होती है.