शुक्र को सुख, समृद्धि, धन, आनंद, आकर्षण, सुंदरता, युवावस्था, प्रेम संबंध, कामुकता, प्रेम में संतुष्टि, विवाह आदि का कारक माना जाता है. शुक्र को स्वयं देवी रूप ही कहा गया है- “शुक्र: कमलारुपस्तस्मात सुखवित्तभाग्यविवर्धनं”. जिस तरह प्रसन्न होने पर माता लक्ष्मी सुख, धन और भाग्य प्रदान करती हैं उसी प्रकार शुक देव भी प्रसन्न होने पर वह सब कुछ प्रदान करते हैं जो देवी प्रदान करती हैं. सुख, धन, भाग्य के लिए शुक्रवार को देवी महालक्ष्मी का विशेष पूजन करना चाहिए. उनके 108 नाम से उनका पूजन फूल से, कुमकुम से, सिंदूर से, पंचामृत से अभिषेक करते हुए करना चाहिए. अभिषेक हमेशा शंख से करना चाहिए। श्वेत वस्त्र धारण करके या गुलाबी वस्त्र धारण करके करना चाहिए.
यदि शुक्र 6वे हो या आठवें हो तो उस जातक को तो यह करना ही चाहिए. यदि 9वे में शुक्र हो और पंचम में पाप ग्रह हो या लग्न में हो तो भाग्य और सुख दोनों की हानि होती है. यदि शुक्र का वेध हो तो भी दोनों की हानि होती है. ऐसे में सबसे प्रशस्त है यह करना या कवच, अर्गल तथा कीलक के साथ दुर्गा शप्तशती के एकादश अध्याय का पाठ करे या मध्यम चरित्र का पाठ करे. यह भी नहीं कर सकते तो लक्ष्मी जी के 12 नामों से प्रतिदिन लाल कुमकुम से रंगे अक्षत से देवी की अर्चना करे.
ईश्वरीकमला लक्ष्मीश्चलाभूतिर्हरिप्रिया।
पद्मा पद्मालया सम्पद् रमा श्री: पद्मधारिणी।।
द्वादशैतानि नामानि लक्ष्मी संपूज्य य: पठेत्।
स्थिरा लक्ष्मीर्भवेत्तस्य पुत्रदारादिभिस्सह।।
ईश्वरी, कमला, लक्ष्मी, चला, भूति, हरिप्रिया, पद्मा, पद्मालया, संपद्, रमा, श्री तथा पद्मधारिणी, ये उनके 12 नाम हैं. इन नामों से इस प्रकार पूजन करें –
ॐ ह्रीं श्रीं ईश्वर्ये नम:
ॐ ह्रीं श्रीं कमलायै नम:
ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्म्यै नम:
ॐ ह्रीं श्रीं चलायै नम:
ॐ ह्रीं श्रीं भूत्यै नम:
ॐ ह्रीं श्रीं हरिप्रियायै नम:
ॐ ह्रीं श्रीं पद्मायै नम:
ॐ ह्रीं श्रीं पद्मालयायै नम:
ॐ ह्रीं श्रीं समीचे नम:
ॐ ह्रीं श्रीं उच्यै नम:
ॐ ह्रीं श्रीं श्रियै नम:
ॐ ह्रीं श्रीं पद्मधारिण्यै नम:
ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ

