देवी भागवत पुराण को कालिका पुराण का अनुषंगी माना जाता है और कालिका पुराण के बाद ही इसे लिखा गया था. इस पुराण में 108 शक्तिपीठ का वर्णन है, इन पीठों में पुराण के संस्करण में कुछ अंतर है. कालिका पुराण में सभी 51 शक्तिपीठों का वर्णन है जबकि स्कन्द पुराण में 20 शक्ति पीठों का ही वर्णन मिलता है.
| 1-वाराणसी- विशालाक्षी 2-नैमिषारण्य – लिंगधारिणी 3-प्रयाग- ललिता 4-गंधमादन – कामुकी 5-दक्षिणमानस – कुमुदा 6-उत्तरमानस – विश्वकामा 7-गोमंत-गोमती 8-मंदार – कामचारिणी 9- मदोत्कटा 10-हस्तिनापुर-जयंती 11-कान्यकुब्ज – गौरी 12-मलय – रम्भा 13-एकाग्र – कीर्तिमती 14-विश्व-विश्वेश्वरी 15-पुष्कर – पुरुहुता 16-केदार-सन्मार्गदायिन 17-हिमवत्पृष्ठ – मंदा 18-गोकर्ण-भद्रकर्णिक 19-स्थानेश्वर-भवानी 20-बिल्वक-बिल्वपत्रिका 21-श्रीशैल-माधवी 22-भद्रेश्वर-भद्र 23-वराहशैल-जया 24-कामालय – कमला 25-रुद्रकोटि – रुद्राणी 26-कालंजर – काली 27-शालग्राम – महादेवी 28-शिवलिंग-जलप्रिय 29-महालिंग – कपिला 30-माकोट – मुकुटेश्वरी 31-मायापुरी – कुमारी 32-संतान – ललितांबिका 33-गया-मंगला 34-पुरूषोत्तम-विमला 35-सहस्त्राक्ष – उत्पलाक्षी 36-हिरण्याक्ष – महोत्पला 37-विपाशा-अमोघाक्षी 38-पुण्ड्रवर्धन -पाटला 39- सन्तान-ललिताम्बिका 40-सुपार्श्व -नारायणी 41-त्रिकूट-रुद्रसुन्दरी 42-विपुल-विपुला 43-मलयाचल – कल्याणी 44-सह्याद्रि – एकवीरा 45-हरिश्चंद्र-चंद्रिका 46-रामतीर्थ- रमणी 47-यमुना- मृगावती 48-कोटितीर्थ – कोटवी 49-मधुवन-सुगन्धा 50-गोदावरी- त्रिसंध्या 51-गंगाद्वार- रतिप्रिया 52-शिवकुंड- शुभानंद 53-देवीकातट-नन्दिनी 54-द्वारावती- रुक्मणि 55-वृन्दावन-राधा | 55. मथुरा – देवकी 56. पाताल-परमेश्वरी 57. चित्रकुट – सीता 58. विन्ध्य-विन्ध्यवासिनी 59. करवीर – महालक्ष्मी 60. विनायक – उमादेवी 61. वैद्यनाथ – आरोग्या 62.महाकाल-महेश्वरी 63. उष्णतीर्थ – अभय 64. विन्ध्य पर्वत – नितम्बा 65. मांडव्य-मांडवी 66. माहेश्वरीपुर- स्वाहा 67. छगलंड – प्रचंड 68. अमरकंटक-चंडिका 69. सोमेश्वर – वरारोहा 70. प्रभास-पुष्करावती 71. सरस्वती-देवमाता 72. तात – परावारा 73. महालया – महाभागा 74. पयोष्णी-पिंगलेश्वरी 75. कृत्सौच – सिंहिका 76. कार्तिक-अतिशंकरी 77. उत्पलावर्तक (उत्प्रेरक) – लीला (लोला) 78. शोणसंगम – सुभद्रा 79. सिद्धवन- लक्ष्मी 80. भरताश्रम – अनंग 81. जलंधर- विश्वमुखी 82. किष्किंधा पर्वत – तारा 83. देवदारुवन-पुष्टि 84. कश्मीर मंडल – मेधा 85. हिमाद्रि- भीमादेवी 86. विश्वेश्वर-तुष्टि 87. शंखोद्वार – धारा 88. पिंडारक-धृति 89. चंद्रभागा-कला 90. अच्छोद-शिवधारिणी 91. वेणी तट – अमृता 92. बद्रीवन-उर्वशी 93. उत्तरकुरु कुरुक्षेत्र -औषधि 94. कुशद्वीप – कुशोदका 95. हेमकूट- मन्मथा 96. कुमुद-सत्यवादिनी 97. अश्वत्थ तीर्थ – वन्दनीया 98. कुबेरालय-निधि 99. वेदवादन-गायत्री 100. शिवसन्निधि-पार्वती 101. देवलोक- इन्द्राणी 102. ब्रह्ममुख-सरस्वती 103. सूर्यबिंब – प्रभा (प्रकाश) 104. मातृमाध्य-वैष्णवी 105. सतिमध्य-अरुंधति 106. श्रीमध्य-तिलोत्तमा 107. चित्त्त मध्य में – ब्रह्मकला 108. सभी प्राणि वर्ग में – शक्ति |

