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कुत्ते से शादी करने के लिए काफी काफी सनकी होना पड़ेगा. भारत में अनेक परम्पराएं ऐसी हैं जिनके बारे में सुन कर काफी हास्यास्पद लग सकता है. लेकिन इन मान्यताओं के पीछे सैकड़ों वर्षों के अनुभव होते हैं. कुत्ते से शादी कराने की परंपरा भारत के कुछ आदिवासी समुदायों में है. आदिवासी मानते हैं कि कुत्ते से शादी कराने से बच्चे की दीर्घायु और मंगल होता है. साथ ही, इससे बच्चे पर मृत्युदोष का असर नहीं पड़ता. इस परंपरा को संथाल आदिवासी ‘सेता बपला’ कहते हैं. इसमें सेता का अर्थ कुत्ता और बपला यानी शादी होती है. यह परंपरा झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम और ओडिशा के क्योंझर और मयूरभंज ज़िलों में मनाई जाती है.

यदि किसी बच्चे पर मृत्युदोष का दोष है, तो उसकी शादी मादा कुतिया से कराई जाती है. वहीं, अगर बच्ची है, तो उसकी शादी नर पिल्ले से कराई जाती है. इस शादी में धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं और धूमधाम से बारात निकाली जाती है. शादी के बाद भोज का भी आयोजन किया जाता है. यह एक अनुष्ठान जैसा है. इस पर कुछ राज्यों में शोध भी किया जा रहा है. सम्भवत: उन्हें ज्ञान न हो लेकिन मंगल दोष के निवारण के लिए ही यह किया जाता है. आदिवादी वृक्ष से भी शादी कराते हैं जैसा हिन्दू धर्म में मंगल दोष के लिए पीपल से शादी कराई जाती है.