वैदिक ज्योतिष के अनुसार, राहु और केतु एक राशि में करीब 18 माह या डेढ़ साल तक रहते हैं. राहु केतु मायावी ग्रह माने गये हैं और सबसे शक्तिशाली माने गये हैं. राहु को एक पापी ग्रह कहा गया है क्योंकि राहु के नकारात्मक प्रभाव के कारण जातक का जीवन समस्याओं से घिर जाता है परन्तु यह एक राजयोग कारक ग्रह भी है. राहु किसी को भी राजा से रंक बना सकता हैं. ऐसे में राहु और केतु ग्रह जब भी राशि परिवर्तन करते हैं तो इसका सकारात्मक-नकारात्मक प्रभाव सभी 12 राशियों पर पड़ता है. राहु और केतु ग्रह हमेशा वक्री चाल से चलते हैं अर्थात सभी ग्रहों कि दिशा के विपरीत वामावर्त इनकी गति है. दृक पंचांग के अनुसार, 30 अक्टूबर 2023 से राहु मीन राशि के गोचर में चल रहे हैं और 17 मई 2025 तक इसी राशि में रहेगा उसके बाद 18 मई कुम्भ राशि में गोचर होगा. केतु कन्या राशि में विराजमान हैं और 18 मई 2025 को ही केतु भी राशि परिवर्तन करेगा. जिसका शुभ-अशुभ प्रभाव मेष से लेकर मीन राशि तक पर होगा.
आप को बता दें कि शनि का गोचर भी मार्च महीने में मीन राशि में होने जा रहा है. शनि का गोचर मीन राशि में 20 मार्च को लगभग 12:56 मिनट पर होगा. शनि और राहु के साथ गूढ़ युति 21 अप्रैल 2025 को मीन राशि में होगी. शनि और राहु दोनों मीन राशि में उत्तर भाद्रपद नक्षत्र में में युति करेंगे. इस युति के टूटने के बाद शनि आगे गोचर करेगा और राहु शनि की कुम्भ राशि में गोचर करेगा. शनि राहु की युति लगभग 57 साल बाद मीन राशि में हो रही है. इससे पहले शनि-राहु की मीन राशि में युति May 1, 1968 को रेवती नक्षत्र में हुई थी. यह युति भारत की राजनीति को बदलने वाली युति थी. इसके बाद ही भारत में आपात काल लगा था जिसने नये सिरे से कांग्रेस विरोधी राजनीति का बिगुल फूंका. यहीं से धीरे धीरे कांग्रेस पतन प्रारम्भ हो गया था. इस बार भी इस युति का राजनीति में एक दूरगामी परिणाम परिणाम होने वाला है. राहु कुम्भ राशि ने अत्यंत शक्तिशाली होता है क्योकि यह इसकी मूल त्रिकोण राशि मानी जाती हैं. शनि-राहु की युति पिशाच योग का भी निमार्ण करती है विशेष रूप से यदि यह युति अष्टम और द्वादश भाव में होती है तो अनिष्टकारी होती है जबकि शुभ भाव में यह लाभकारी भी होती है. कलियुग में आसुरी चरित्र के मायावी ग्रह सामान्य लोगों के लिए शुभ फलप्रद होते हैं. उन्हें ये कलियुग में विरोधियों से लड़ने की योग्यता प्रदान करते हैं.
जिन जातकों की कुंडली में कुम्भ राशि 3, 6, 10, 11 चार भावों में पड़ती है उनके लिए राहु का यह गोचर अत्यंत लाभकारी होगा. मेष राशि के ग्यारहवें भाव में, वृषभ राशि के दसवें भाव में, कन्या के छठवें भाव में और धनु राशि के तीसरे भाव में राहु का गोचर होगा. इन राशि और लग्न के जातकों के लिए आने वाले डेढ़ साल बहुत लाभकारी हो सकते हैं. इनके दिन फिरेंगे विशेष रूप से कन्या राशि और लग्न के जातकों के लिए जिन्हें पंचम राहु से बड़ीं परेशानी हुई थी. करीब 18 माह तक राहु-केतु की शुभ दृष्टि भी कुछ राशियों को मालामाल बना सकती है. इस दौरान कुछ राशियों को जीवन में बहुत सावधानी भी बरतनी होगी. इस दो गोचर का फलादेश गोचर के समय ही लिखा जाएगा.

