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तिरूपति लड्डू या श्रीवारी लड्डू भारत के आंध्र प्रदेश के तिरूपति जिले के तिरूपति स्थित तिरुमाला वेंकटेश्वर मंदिर में वेंकटेश्वर को नैवेद्यम के रूप में चढ़ाया जाने वाला लड्डू है. सन २००९ में इस लड्डू को GI मार्क मिला हुआ है जिससे ये सिर्फ तिरुमला तिरुपती देवस्थानम बना सकता है. नरेंद्र मोदी NDA गठ्बन्धन के प्रमुख नेता आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने पिछली वाईएसआरसीपी सरकार पर गंभीर आरोप लगाया और कहा है कि पूर्ववर्ती सरकार ने विश्व प्रसिद्ध तिरुपति लड्डू को बनाने में घटिया सामग्री और जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया था. पिछले 5 सालों में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने तिरुमला की पवित्रता को कलंकित किया है. उन्होंने ‘अन्नदानम’ (मुफ्त भोजन) की गुणवत्ता से समझौता किया और घी के बजाय पशुओं की चरबी का उपयोग करके पवित्र तिरुमला लड्डू को भी दूषित कर दिया. इस खुलासे ने चिंता पैदा कर दी है. हालांकि, अब हम शुद्ध घी का इस्तेमाल कर रहे हैं. हम टीटीडी की पवित्रता की रक्षा करने की कोशिश कर रहे हैं. रेड्डी ने तेलुगु में एक्स पर लिखा, “चंद्रबाबू नायडू ने तिरुमला की पवित्रता और करोड़ों हिंदुओं की आस्था को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाया है. तिरुमला प्रसाद के बारे में उनकी टिप्पणी अत्यंत दुर्भावनापूर्ण है. कोई भी व्यक्ति ऐसे शब्द नहीं बोलेगा या ऐसे आरोप नहीं लगाएगा.”

गौतलब है कि इस विश्व प्रसिद्ध मंदिर का प्रबंधन तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) करती है. ऐसे में यह आक्षेप बहुत गम्भीर है, इसमें मन्दिर के पुजारी और अधिकारी सब शरीक होंगे तभी यह सम्भव है. तिरुमला तिरुपति देवस्थानम के करप्ट हुए बिना खाद्य सामग्री में गाय, भैंस और सुअर जैसे जानवरों की चर्बी का प्रयोग सम्भव नहीं है. लेकिन यह भी ध्यान रखना चाहिए वैष्णव मूलभूत रूप पापी और लालची रहे हैं, ये लाभ के लिए शास्त्रों की अवमाना तक करने से नहीं चूकते. ये सत्ता के साथ सांठगांठ करके चलते रहे हैं और सत्ताधारी के अनुसार ही अपना प्रोपगेंडा करते रहे हैं. वैष्णवों ने अपने धार्मिक ग्रन्थ भी सत्ताधारियों के सेवा में लिखे. इनके अधिकतर ग्रन्थ राजाओं को भगवान बताते हैं और उनकी स्तुति हैं. ये वही वैष्णव हैं जिन्होंने अधूरे शिखर विहीन अयोध्या राममन्दिर का उद्घाटन बिना मुहूर्त के नरेंद्र मोदी को राजनीतिक लाभ देने के लिए करवाया. इसके बदले में इन्हें काला धन प्राप्त हुआ था.

तिरुपति मन्दिर एक विशुद्ध बिजनेस संस्थान में बदलता गया. यहाँ हर चीज बेची जाती है, तिरुपति लड्डू 50 रूपये का एक मिलता है. दर्शन का टिकट सिनेमा की तरह है – एक दर्शन की कीमत 300 रुपये.
तिरुपति लड्डू विदेश में भी एक्पोर्ट किया जाता है. यह एक मिठाई की दुकान भी है. तिरुपति में आम जनता तो लम्बी लाइन के बाद दो दो दिन बाद दर्शन करती है लेकिन फ़िल्मी जमात, नेता, व्यापारी इत्यादि सीधे भगवान के वीआईपी बन कर दर्शन कर लेते हैं. यह वैष्णव पुजारियों मूल चरित्र के अनुसार है. इन धूर्तों के लिए सब कुछ पैसा ही है. सोना ही सब कुछ है.