स्वतंत्र भारत की जन्म कुंडली 15 अगस्त 1947 की मानी जाती है. भारत का जन्म अर्धरात्रि को हुआ था जब वृष लग्न उदित था. यह वृष लग्न की कुंडली ही भारत की कुंडली है. भारत का जन्म अमावस्या को हुआ था. लग्न में पाप ग्रह राहु और सप्तम भाव में पाप ग्रह केतु स्थित हैं. दोनों ही पाप ग्रह वैदिक ज्योतिष के अनुसार उच्च राशि में हैं. राहु-केतु एक्सिस से एक तरफ सभी ग्रह स्थित हैं. सभी ग्रह कुंडली में लग्न से सप्तम के बीच में स्थित हैं. कुंडली में तृतीयेश सभी ग्रहों का स्वामित्व रखता है और नवांश में सप्तम स्थित केतु के साथ है. केतु और राहु दोनों लग्न कुंडली में किसी भी शुभ ग्रह से अदृष्ट हैं. नवांश कुंडली में राहु चन्द्रमा से दृष्ट है और केतु के साथ चन्द्रमा षष्टम भाव में स्थित है. कुंडली में सप्तम भाव स्थित केतु का राशि स्वामी दूसरे भाव में स्थित है जो यह बताता है कि भारत की स्त्रियाँ पैसे के लिए ही सब करेंगी, पैसा उनके लिए अंतिम मूल्य होगा. सप्तम स्थित किसी शुभ ग्रह से अदृष्ट केतु का फल घोर दुराचार कहा गया है. कालसर्प योग ही नहीं केतु के कारण भी भारत में वैवाहिक जीवन बुरी तरह प्रभावित है और यहाँ दुराचार को क़ानूनी मान्यता प्राप्त है. सप्तमेश द्वितीय भाव में वैवाहिक जीवन के लिए ठीक नहीं होता ऐसे में भारत इससे पीड़ित है. ज्यादातर हिन्दुओं का वैवाहिक जीवन ठीक नहीं है और डायवोर्स अपने चरम पर है. किसी शुभ ग्रह द्वारा अदृष्ट मंगल की राशि का केतु बलात्कार की तरफ भी स्पष्ट इंगित करता है. भारत में दुराचार और बलात्कार दोनों ही व्यापक है और यह स्पष्ट देखने को मिल रहा है. लग्न स्थित राहु भी भारत के लोगों को अनैतिक, दुराचार करने वाले, झूठ फरेब करने वाले, मीडिया प्रोपगेंडा द्वारा जनता को ठगने वाले, मिथ्याचारी और अधर्मी बनाता है.
सभी ग्रह चन्द्रमा की राशि में होने से और राहु, शुक्र का नवांशेश नपुंसक ग्रह शनि होने से भी भारत पराक्रमी नहीं है, मंगल भी खराब राशि में है. यह भारत को निर्धन बनाता है. भारत के राजकोष की स्थिति सदैव दरिद्र बनी रहेगी. नेता राजकोष खाली करके देश को हमेशा कर्ज में रखते हैं. वर्तमान में भारत $663.8 billion कर्ज में है और राजकोष खाली है. यहाँ के लोग मूलभूत रूप से चोर हैं और यहाँ के शासक शक्तिशाली देशों की गुलामी करते हैं. चीन ने भारत की सीमा पर गाँव बनाये और भारत के 56 इंच वाले प्रधानमंत्री ने एक शब्द नहीं कहा. चीन का नाम लेने मात्र से डरता है. यदि स्त्री भारत का शासक हो तो वह इंदिरा गांधी कि तरह क्रूर और पराक्रमी होगी. लेकिन किसी भी तरह से देखने पर भारत की कुंडली का सिग्नीफिकेशन धर्म नहीं है. सभी ग्रह कुंडली में लग्न से सप्तम के बीच में स्थित हैं जो भारत की कुंडली को आध्यात्मिक नहीं बनाता बल्कि भौतिकवादी बनाता है. भारत की कुंडली में धर्म का मनोरंजन आवश्य है. कुंडली में भक्ति रूपी नाच गाना से धन की प्राप्ति करना, धर्म का मनोरंजन, धार्मिक प्रोपगेंडा द्वारा जनता को लूटना इत्यादि स्पष्ट रूप से है. भारत का जन्म भी वणिज करण और उद्योग चौघड़िया में हुआ था तथा गुजरात का दुराचारी बनिया इसका राष्ट्रपिता बना.
इसके इतर काल सर्प योग के होने से प्रारम्भ में इसका बहुत तेजी से उत्थान हुआ लेकिन इसका पिछले 20 वर्ष में बहुत तेजी से पतन भी हुआ है. इसका नैतिक, सामाजिक और धार्मिक पतन किसी भी देश से ज्यादा हुआ है. नैतिक पतन इस स्तर तक हुआ है कि शासक और धर्मगुरु बलात्कार के संरक्षक बन गये हैं. भारत में भ्रस्टाचार अपने चरम पर है. धर्म एक विशुद्ध बिजनेस है जहाँ सभी पाप किये जाते हैं. बाबा बलात्कारी हैं, मन्दिर-मठ पाप के ठिकाने हैं. मन्दिर में पैसे लेकर मूर्ति के दर्शन कराते हैं, पैसे न देने पर पंडे धक्के मारकर बाहर कर देते हैं.


