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 गणेश चतुर्थी या विनायक चतुर्थी को भगवान गणेश के जन्म हुआ था. गणेशोत्सव उनका जन्मोत्सव है जो हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष कि चतुर्थी में मनाया जाता है. यह गणेशोत्सव दस दिन का होता है. दस दिनों तक चलने वाले इस पर्व की धूम प्रमुख रूप से महाराष्ट्र में रहती है. ऐसा माना जाता है कि छत्रपति शिवाजी महाराज के समय में यह एक सार्वजनिक समारोह के रूप में मनाया जाता था. सन् 1893 में लोकमान्य तिलक ने इसको पुनर्जीवित किया और अब यह महाराष्ट्र का सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक उत्सव बन गया. इस साल 2024 में गणेश उत्सव का प्रारम्भ 7 सितंबर, शनिवार 2024 से हो रहा है जिसका समापन 17 सितंबर 2024 को अनंत चतुर्दशी के दिन होगा. गणेश जी कि स्थापना शनिवार को ही होगी और इसी दिन व्रत की शुरुआत होगी. भाद्रपद चतुर्थी के चन्द्रमा का दर्शन नहीं किया जाता है, इससे दोष लगता है.

कलियुग में गणेश जी की पूजा सिद्धिदायक मानी गई है “कलौ चंडी विनायकौ“. इस गणेशोत्सव को व्यर्थ न जानें दें. बुध की अशुभ दशा में गणेशोत्सव करने से उसके अशुभ प्रभाव से मुक्ति मिलती है. यदि कार्य में रूकावटे आती हैं, काम धंधा नहीं होता तब भी घर में गणेशोत्सव करने से शुभ होने लगता है. केतु अशुभ दशा में गणेश जी की पूजा करने से उसके अशुभ प्रभाव खत्म होते हैं.

गणेश चतुर्थी मुहूर्त –
पंचांग के अनुसार चतुर्थी तिथि का प्रारम्भ 06 सितंबर, 2024 को दोपहर 3:01 मिनट से होगा और अगले दिन 07 सितंबर, 2024 शनिवार को शाम 5:37 मिनट पर समाप्त होगी. चतुर्थी के दिन 6 सितंबर को चन्द्रदर्शन का समय दोपहर 3:01 से रात 8:16 मिनट तक रहेगा. इसका दर्शन नहीं करें. गणेश की स्थापना द्विस्वभाव लग्न में करना चाहिए. पंचांग के अनुसार, इस दिन मध्याह्न काल गणेश पूजा का शुभ मुहूर्त 11:03 ए एम से 01:34 पी एम तक रहेगा.

जिन्हें गणेश स्थापना करना है उन्हें मिटटी के गणेश जी को चतुर्थी के दिन गाजे बाजे के साथ घर लाना चाहिए और उनकी विधि पूर्वक स्थापना करना चाहिए. गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करके उनमे प्राण प्रतिष्ठा करनी चाहिए और दस दोनों तक उनकी विधिवत सेवा करनी चाहिए.