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है साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को कजरी तीज मनाई जाती है. कजरी तीज महिलाओं का पर्व है, इस डॉन महिलाएं अपने सौभाग्य और मांगल्य के लिए शिव पार्वती कि पूजा और व्रत करती हैं. इसको कज्जली तीज और ‘बड़ी तीज’  भी कहा जाता है. इस साल कजरी तीज 22 अगस्त को मनाई जाएगी. लोक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा और व्रत से विवाहित स्त्रियों को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है. कजरी तीज अविवाहित लड़कियाँ भी व्रत रखती हैं और सुयोग्य जीवनसाथी प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करती हैं. कजरी तीज भारत के उत्तरी राज्यों, जैसे राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब और मध्य प्रदेश में धूमधाम से मनाया जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माता पार्वती ने शिव को प्राप्त करने के लिए १०८ जन्म लिए और तपस्या कि थी जिससे प्रसन्न होकर शिव उन्हें प्राप्त हुए थे. भगवान शिव और पार्वती देवी के बीच यह दिव्य मिलन भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष तृतीय को हुआ था, जिसे बाद में कजरी तीज के नाम से जाना जाने लगा। इस दिन माता पार्वती की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है.

कजरी तीज का मुहूर्त –

इस साल कजरी तीज का व्रत 22 अगस्त , 2024 को रखा जाएगा. भाद्रपद महीने में कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि 21 अगस्त को शाम 5.15 बजे से शुरू हो रही है, जो 22 अगस्त को दोपहर 01:46 बजे तक रहेगी. उदया तिथि के अनुसार, इस साल कजरी तीज का व्रत 22 अगस्त को किया जाएगा. इस दिन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 5:50 बजे से सुबह 7:30 बजे के बीच रहेगा.


कजरी तीज में निम्नलिखित पूजा सामग्री लगती है –

पीला वस्त्र, कच्चा सूत, नए वस्त्र, केला के पत्ते, बेलपत्र, भांग, जनेऊ, जटा नारियल, धतूरा, शमी के पत्ते, सुपारी, कलश, अक्षत या चावल, दूर्वा घास, घी, कपूर, अबीर-गुलाल, श्रीफल, गाय का दूध, चंदन, गंगाजल, दही, मिश्री, शहद, पंचामृत रखें. मां पार्वती को सुहाग का सामान अर्पित किया जाता है इसलिए साड़ी सहित सभी श्रृंगार सामग्री रखें.
पहले सूर्य को अर्घ्य देकर गणेश जी की पूजा करें. उसके बाद शिव-पार्वती का विधिवित पूजन करें और भगवान के लिए विशेष रूप से बनाए गए पकवानों और मिठाइयों को अर्पित करें. कजरी तीज के दिन गीत नृत्य भी अवश्य करना चाहिए. इस दिन झूले भी डाले जाते हैं. यह उत्सव और खुशियों का का पर्व है. अपनी परम्परा के अनुसार कजरी का व्रत करें. कजरी तीज का व्रत की परम्परा सब जगह अलग अलग है. कजरी तीज पर कुछ क्षेत्रों में नीम के पेड़, या पत्तियों वाले नीम के पेड़ की टहनी की पूजा की जाती है. कुछ जगह सत्तू पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. वस्त्र- श्रृंगार सामग्री और सत्तू विवाहित महिला के माता-पिता या मायके से आता है. इसे घी और चीनी के साथ मिलाया जाता है और फिर एक गेंद या पिंड बनाया जाता है. इसी सत्तू पिंड की पूजा की जाती है. अन्य परम्परा में महिलाये मिट्टी से पूजा के चबूतरे पर एक छोटा कुआं जैसा गड्ढा बनाती हैं और जो नीम के पेड़ की टहनी होती है, उसे इस मिट्टी के कुएं के एक कोने में स्थापित कर दिया जाता है. इस कुएं को भरने के लिए कच्चे बिना उबले दूध और पानी का प्रसाद डाला जाता है.