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सूर्य ग्रहण और चन्द्रग्रहण के इतर अन्य ग्रहों पर भी ग्रहण लगता है. चंद्रमा का ग्रहण होता है जब पृथ्वी हमारी दृष्टि को बाधित करती है, सूर्य का ग्रहण होता है जब चन्द्रमा हमारी दृष्टि को बाधित करता है लेकिन ग्रहों से भी ऐसे ग्रहण होते हैं. जब ग्रह परिक्रमा करते हुए दूसरे तारे या ग्रह के सामने से होकर गुजरते हैं तो अक्सर तारे या ग्रह पृथ्वी से देखने वाले द्रष्टा के लिए छुप जाते हैं. जब चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर अपनी कक्षीय गति के दौरान किसी तारे के सामने से गुजरता है तो वह अक्सर उसके बिम्ब को ढँक लेता है और पृथ्वी से वह नहीं दिखता जब तक की चन्द्रमा ट्रांजिट नहीं कर जाता. चंद्रमा की कक्षा क्रांतिवृत्त से रिलेटिवली थोड़ी झुकी हुई है अर्थात क्रांतिवृत्त पर गतिमान -6.6 और +6.6 डिग्री के बीच अक्षांश वाला कोई भी तारा या ग्रह इसके द्वारा गुप्त हो सकता है अर्थात उसका आकल्‍टेशन हो सकता है.

खगोलविदों के अनुसार बुधवार 24 जुलाई को रात लगभग 9.30 बजे चंद्रमा पूर्व में उदित होकर जब आगे बढ़ेगा तो देर रात 11.57 बजे वह शनि को छिपा देगा या गुप्त कर देगा . चंद्रमा , शनि और पृथ्‍वी के बीच में आकर पृथ्‍वी के एक सीमित भू भाग से आकाश में शनि का दर्शन नहीं होगा . शनि और पृथ्‍वी के बीच चंद्रमा आकर एक Occultation की स्थिति बनाएगा. खगोलविज्ञान में यह स्थिति को लुनर आकल्‍टेशन ऑफ सेटर्न (Lunar Occultation of Saturn) कहा जाता है. यह दुर्लभ नजारा भारत और पड़ोसी देशों श्रीलंका, चीन आदि में भी देखने को मिलेगा.

आकल्‍टेशन (Occultation)एक ऐसी घटना है जो तब घटित होती है जब एक वस्तु उसके सामने से गुजरने वाली दूसरी वस्तु द्वारा पर्यवेक्षक से छिपी होती है.दूसरे शब्दों में जब किसी पिण्ड और द्रष्टा बीच में अन्य पिण्ड आकर उसे पूरी तरह से छुपा ले और उसे न देख पाए तो उसे आकल्‍टेशन कहते हैं. यह शब्द अक्सर खगोल विज्ञान में उपयोग किया जाता है, लेकिन यह किसी भी स्थिति को संदर्भित कर सकता है जिसमें अग्रभूमि में कोई वस्तु पृष्ठभूमि में किसी वस्तु को देखने से रोकती है (गुप्त कर देती है या छिपा देती है).

यदि निकटतम वस्तु दूर वाले को पूरी तरह से नहीं छिपाती है,तब इस घटना को पारगमन या ट्रांजिट कहा जाता है.पारगमन और आकल्‍टेशन दोनों को आम तौर पर बाधा(concealment) के रूप में संदर्भित किया जा सकता है. यदि पर्यवेक्षक पर आंशिक या पूर्ण छाया पड़ती है तो इसे ग्रहण कहा जाता है.सात ग्रहों की सूर्य की कक्षा में गति के दौरान अक्सर Occultation की घटना होती रहती है.

शनि का यह आकल्‍टेशन आज बुधवार देर रात 11.57 बजे से आरंभ होकर रात 3.57 बजे पर संपन्न होगी . भारत में इसे मध्‍यरात्रि 12.50 बजे से 3.10 बजे तक अलग -अलग स्‍थानों में देखा जा सकेगा . दिल्‍ली सहित भारत के उत्तरी पश्चिमी राज्यों में यह नहीं दिखाई देगा, लेकिन मध्य प्रदेश सहित दक्षिणी एवं पूर्वी भारत में देखा जा सकेगा. लगभग 18 साल बाद यह परिघटना देखी जा सकेगी. अगले 14 अक्टूबर को यह आकल्‍टेशन फिर देखा जा सकता है. इस परिघटना को नंगी आँख से नहीं देखा जा सकता है.