Spread the love

कोई भी ग्रह अपनी दशा में पूर्ण फल तभी करता है जब वह बलवान हो. कमजोर ग्रह की दशा अनिष्टकारी होती है. कोई नीच ग्रह की दशा विनाशक भी हो जाती है. ग्रहों के पांच प्रमुख बल हैं, इनमे सभी के फल भी बताये गये हैं. अयन बल को प्रमुखता नहीं दी जाती है जबकि सूर्य के बावत अयन बल भी एक प्रमुख बल है.

ग्रहों के निम्नलिखित 5 प्रकार के बल होते हैं –

1- स्थान बल
किस राशि में है और हॉउस में है तदनुसार उसका बल निर्धारित होता है. क्या वह राशि और हॉउस उसके स्वभाव के लिए ठीक है. ठीक हो तो बली होगा. ग्रहों को स्थान बल प्राप्त होता है जब वह अपने मूल त्रिकोण, मित्र राशि, स्वराशि, उच्च राशि या फिर ग्रह षडवर्ग में अपनी ही राशि में विद्यमान हो. किसी मित्र के घर में जिस प्रकार कोई पुरुष प्रसन्न होता है, उसी प्रकार ग्रह मित्र राशि में प्रसन्न होते हैं. अपने घर में हर कोई बलवान होता है, उसी प्रकार ग्रह भी अपने घर में बलवान होते हैं. इसी प्रकार समझना चाहिए.

2-दिग बल –

दिग मतलब दिशा. हर ग्रह किसी न किसी दिशा में और विशेष स्थान पर दिग्बली होता है. जैसे सूर्य और मंगल को दिगबल तभी प्राप्त होता है जब वो दशम भाव में होते हैं. जबकि चंद्र और शुक्र जब सुख भाव में होते हैं अर्थात चतुर्थ भाव तब उन्हें दिगबल प्राप्त होता है. गुरु और बुध जब लग्न की स्थिति में होते हैं, तब उन्हें दिगबल प्राप्त होता है. वहीं शनि जब सप्तम भाव में होता है, तब उसे दिग बल प्राप्त होता है. बृहस्पति पूर्व दिशा में बलवान होता है. यदि पश्चिम में है तो निर्बल होगा. इसलिए लग्न में बृहस्पति को दिगबल प्राप्त होता है.

3-चेष्टाबल
सूर्य की परिक्रमा से जो बल प्राप्त होता है उसे चेष्टा बल कहते हैं. इस समय ग्रह की स्थिति क्या है? वह वक्री है, अस्त है या अतिचारी है या ग्रह युद्ध ने विजयी है ? मंगल, बुध, गुरु, शुक्र और शनि जब वक्री होते हैं तो उन्हें चेष्टा बल प्राप्त होता है. सूर्य और चंद्रमा को चेष्टा बल की प्राप्ति विभिन्न राशियों में होती है. विजयी ग्रह विजित ग्रह की शक्तियों का हरण कर बली हो जाता है.

4-काल बल-
कोई ग्रह किसी काल विशेष में ही बल प्राप्त करता है. पाप ग्रह कृष्ण पक्ष में बलवान होते हैं. शुभ ग्रह शुक्ल पक्ष में बलवान होते हैं. चंद्र, मंगल और शनि रात्रि के पहर में बली होते हैं. सूर्य, शुक्र और गुरु दिन में बली होते हैं और बुध रात और दिन दोनों पहरों में बली होता है. चन्द्रमा के लिए काल बल ही प्रमुख बल है.

5-नैसर्गिक बल –

यह बल ग्रह का प्राकृतिक बल है. सभी ग्रहों में सूर्य सर्वाधिक बली होता है, वहीं शनि सबसे कम बली होता है. क्रम से – सूर्य, चंद्रमा, शुक्र, गुरु, बुध, मंगल और शनि बली होते हैं.

6-अयन बल
ग्रह अपने अयन में बली होते हैं. शनि दक्षिणायन में बली होता है, सूर्य चन्द्र, शुक्र और बृहस्पति उत्तरायण में बली होते हैं.
लेकिन एक विशेष बल होता है उसे विंशोपक बल कहते हैं .

जब कोई ग्रह इन सभी में बलवान हो तो उसकी दशा पूर्ण फल करती है.