सुप्रीम कोर्ट की पहल पर पुरी जगन्नाथ मंदिर समिति की ओर से 14 जुलाई को रत्नभंडार खोलने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है. रत्नभंडार श्री जगन्नाथ मंदिर परिसर के भीतर जगमोहन (सभा कक्ष) के उत्तरी छोर पर स्थित है. रत्न सिंहासन के सामने जगनमोहन स्थित है. रत्न सिंहासन की इस बेदी पर भगवान जगन्नाथ सुभद्रा, बलभद्र के साथ खड़े हैं. इस पर भू देवी, नीलमाधव, सुदर्शन और श्री देवी को भी स्थान दिया गया है. रत्न भंडार के दो कक्ष हैं – बाहर भंडार (बाहरी कक्ष) और भीतरी भंडार (आंतरिक कक्ष). रत्न भंडार की उत्तरी दीवार मुख्य मंदिर से जुड़ती है. इस स्थान पर भगवान की अष्ट-सखी और लोकेश्वर-रत्न भंडार के देवता के साथ स्थापित हैं. इसके पास ही भगवान जगन्नाथ का शयनकक्ष भी स्थित है. जन्मदिन समारोह और गुंडिचा मंदिर की रथयात्रा के दौरान दिए गये भगवान जगन्नाथ का सारा चढ़ावा यहीं रखा जाता है. इसे बहुत पवित्र माना जाता है.
रिकॉर्ड के अनुसार, मंदिर के रत्न भंडार में कुल 454 सोने की वस्तुएं हैं जिनका वजन 128.38 किलोग्राम है और 293 चांदी की वस्तुएं हैं जिनका वजन 221.53 किलोग्राम है. रत्न भंडार की अंतिम सूची 46 साल पहले 1978 में बनाई गई थी. सदियों से भक्तों और तत्कालीन राजाओं द्वारा जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा और अन्य देवताओं को दिए दान के कीमती आभूषण रत्न भंडार में संग्रहीत हैं. कीमती सामान और चैंबर की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई गई थी. मामला उड़ीसा उच्च न्यायालय तक पहुंच गया था जिसके बाद 2023 में राज्य सरकार ने 2024 की रथ यात्रा में रत्न भंडार खोलने की घोषणा की थी. रथयात्रा के दौरान देवताओं की मूर्तियां मौसी के गुण्डिचा मंदिर में होंगी और मुख्य मंदिर के अंदर कोई दैनिक अनुष्ठान नहीं होगा इसलिए 14 जुलाई का दिन चुना गया है. 15 जुलाई को भगवान जगन्नाथ वापस मन्दिर में आयेंगे.
रत्नभंडार खोलने की प्रक्रिया और आभूषणों की गिनती और निष्पादन के लिए अलग-अलग तरीके से दो प्रस्तावित एसओपी मंदिर प्रबंधन समिति को सौंपी गई हैं. उड़ीसा हाईकोर्ट के जज की देखरेख में यह कमेटी यह कार्य करेगी.

