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ज्योतिष में काल सर्पदोष बहुत प्रसिद्ध है. ज्योतिष में सांप काटने से सम्बन्धित अनेक फलादेश मिलते हैं. ज्योतिष में सर्प दंश से मृत्यु के योग भी दिए गये है. ज्योतिष में राहु केतु सर्प कहे गये हैं जिसमे राहु को सर्प का सिर और केतु को उसकी पूंछ माना जाता है. सर्प दंश के कुछ ज्योतिषीय पहलू हैं जिसे यहाँ एक जातक की कुंडली के उदाहरण से दिया जा रहा है. कुंडली में इसे देखना चाहिए.

1- सांप अक्सर राहु की दशा या अन्तर्दशा में जातक को दिखते हैं, उसके घर में प्रकट होते हैं या उसे डंसते हैं.

2-राहु-चन्द्रमा युत हों या उनका दृष्टि सम्बन्ध हो या राहु के नक्षत्र से सम्बन्धित हो ग्रह और उसकी दशा हो तो सर्प दंश होता है. चंद्रमा को सर्प कहा जाता है क्योंकि एक तो सर्प का नक्षत्र कर्क राशि में पड़ता है और दूसरे सर्प अक्सर रात्रि में ही निकलते हैं. तीसरी बात ये है कि चंद्रमा की गति सर्प की तरह गुप्त होती है. राहु-सूर्य से युत हो तो भी सर्प दंश होता है. राहु का सूर्य से गहरा सम्बन्ध सभी धर्म शास्त्र में बताया गया है. सर्प सूर्यवंशी और चन्द्रवंशी होते हैं.

3-सर्प के नक्षत्रों में अश्लेषा, ज्येष्ठा, रेवती, शतभिषा, स्वाती, आर्द्रा प्रमुख हैं हलांकि शास्त्र के अनुसार पूर्वभाद्रपद और उत्तरभाद्रपद भी सर्प से जुड़े हुए हैं.

4-सर्प दंश की स्थिति तभी बनती है जब राहु पर मंगल की दृष्टि हो क्योंकि सर्प का फुफकारना और काटना आक्रामक होता है. यह आक्रामकता मंगल से आती है.

5-सर्प जहाँ प्रकट होता है या काटता है उससे सम्बन्धित हॉउस का स्वामी भी शरीक होता है.

उदाहरण के लिए इस जातक की कुंडली –

शनि की महादशा और राहु की अन्तर्दशा में चल रहा है. इनके घर कोबरा निकला, कोबरा पर उनके पैर पड़े लेकिन सर्प ने उन्हें नहीं काटा. बाल बाल बच गये.

बिहार के नवादा से अजीबोगरीब घटना सामने आई है. नीचे वीडियो ऐसे आदमी की है जिसको सांप ने काटा, फिर युवक ने सांप को 3 बार काटा; उसके बाद सांप की मौत हो गई. ऐसी पहले भी एक दो बार खबर सुनने को मिली है जिसमे व्यक्ति ने पलट कर सांप को काट लिया जिससे सांप की मृत्यु हो गई .ऐसे जातको की कुंडली का संग्रह होना चाहिए.

“सांप के साथ जोर जबरदस्ती नहीं किए. उसका भी एक सिस्टम है. सांप हमको काटा दू बार, हम उसको काट दिए तीन बार”