Spread the love

शैव सम्प्रदाय की सबसे महत्वपूर्ण तिथि है त्रयोदशी. यह तिथि भगवान शिव की पूजा के लिए प्रशस्त बताई गई है इसलिए इस तिथि में पड़ने वाले प्रदोष काल में उनकी विशेष पूजा अर्चना की जाती है. प्रत्येक माह की कृष्ण त्रयोदशी और शुक्ल त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है. इस दिन शास्त्रीय विधि-विधान से भगवान शिव का पूजन और उनकी प्रसन्नता के लिए व्रत भी रखन चाहिए. प्रदोष व्रत के भगवान आशुतोष की पूजा से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. प्रदोष व्रत को एकादशी की तरह ही महत्वपूर्ण माना जाता है. इसका एकवर्ष, पांच वर्ष या बारह वर्ष अनुष्ठान करना चाहिए. आषाढ़ माह चल रहा है और इस माह का पहला प्रदोष व्रत 3 जुलाई बुधवार को रखा जाएगा. शैव धर्म में त्रयोदशी तथा शाक्त धर्म में चतुर्दशी का सबसे ज्यादा महत्व है.

त्रयोदशी प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त –

पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 3 जुलाई को सुबह 7 बजकर 10 मिनट पर शुरू होगी और 4 जुलाई को सुबह 5 बजकर 54 मिनट पर इसका समापन होगा. पंचांग के अनुसार प्रदोष व्रत 3 जुलाई 2024, बुधवार को रखा जाएगा. प्रदोष व्रत की पूजा सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में की जाती है. शिवपुराण के अनुसार प्रदोष काल में परमशिव भगवान नृत्य करते हैं और सभी देवी देवता उसे देखने के लिए कैलाश पर उपस्थित रहते हैं. ऐसे काल में उनकी पूजा से प्रसन्न होकर वे अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं. बुधवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को बुध प्रदोष व्रत कहा जाता है. 3 जुलाई को पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 7 बजकर 23 मिनट से लेकर रात 9 बजकर 24 मिनट तक रहेगा. बुध प्रदोष व्रत के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग है जो कि पूरे दिन रहेगा .
इस दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए रुद्राभिषेक करना चाहिए. इस दिन भगवान शिव की विधि पूर्वक पूजा करना चाहिए और ब्राह्मण भोजन कराना चाहिए. शिव पुराण में इस दिन दान का विशेष फल कहा गया है.