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सूर्य देव अब दक्षिणायन में करने वाले हैं भ्रमण. उत्तरायण मकर राशि में होती है जबकि दक्षिणायन उसकी विपरीत राशि कर्क में होती है. इस वर्ष की कर्क संक्रांति 16 जुलाई दिन मंगलवार को पड़ रही है. सूर्य देव मिथुन राशि में हैं, 16 जुलाई को दिन में 11 बजकर 29 मिनट पर मिथुन राशि से निकलकर कर्क राशि में प्रवेश करेंगे. सूर्य की सभी संक्रांति विशेष होती है लेकिन चार संक्रांति मेष, कर्क, तुला और मकर सबसे महत्वपूर्ण मानी गई हैं. दक्षिणायन देवताओं को प्रिय नहीं है इसलिए इसके चार महीने तक देवता पृथ्वी लोक में नहीं रहते. सूर्य की कर्क संक्रांति से ही चातुर्मास का प्रारम्भ होता है. यह वर्षा ऋतु का महीना रहता है इसलिए इसमें सभी शादी ब्याह इत्यादि शुभ कार्य भी नहीं किये जाते. कर्क संक्रां​ति से दक्षिणायन में सूर्य देव क्रमश: 6 राशियों कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक और धनु में गोचर करेंगे. दक्षिणायन के तीन महीनों में श्रवण महीना अत्यंत शुभ शिव पूजन का महीना रहता है तथा अश्विन नवरात्रि का प्रमुख पर्व रहता है. दक्षिणायन चन्द्रमा द्वारा शासित अयन है. दक्षिणायां से दिन छोटा होने लगता है और रात्रि बड़ी होने लगती है. दक्षिणायन में देवी दुर्गा की उपासना या किसी शक्ति देवी की उपासना फलदायी होती है. संक्रांति जिस करण में होती है तदनुसार उसके वाहन इत्यादि कहे गये हैं. इस बार कर्क संक्रांति गर करण में हो रही है इसलिए हाथी सूर्य का वाहन है, वस्त्र आरक्त है, उनका भक्ष्य दूध है, नर्मदा स्नान है, सूर्य देव प्रौढ़ हैं.

कर्क संक्रांति 2024 पुण्य काल
पंचांग के अनुसार कर्क संक्रांति तिथि पर पुण्य काल सुबह 05 बजकर 34 मिनट से लेकर 11 बजकर 29 मिनट तक है. वहीं, महा पुण्य काल सुबह 09 बजकर 11 मिनट से सुबह 11 बजकर 29 मिनट तक है. संक्रांति में गंगा समेत पवित्र नदियों में स्नान-दान कर पूजा-पाठ एवं दान-पुण्य किया जाएगा. कर्क संक्रांति के दिन महा पुण्य काल 02 घंटे 18 मिनट का है. कर्क संक्रांति पर साध्य, शुभ, रवि योग बन रहा है. संक्रांति के दिन साध्य योग सुबह 07 बजकर 19 मिनट तक है. इसके बाद शुभ योग का निर्माण हो रहा हैजबकि रवि योग दिन भर है.

संक्रांति तिथि पर पूजा जप-तप के बाद दान करने से साधक को अमोघ फल की प्राप्ति होती है. संक्रांति काल में कोई छोटी साधना कर लेनी चाहिए.