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गणपति सम्प्रदाय में चतुर्थी का ही सबसे ज्यादा महत्व है. यह तिथि गणेश जी को समर्पित है. हर माह में संकष्टी चतुर्थी का व्रत होता है, मास के अनुसार इसका नामकरण किया गया है. आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी कहते है. कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत रखकर विघ्नहर्ता श्री गणेश जी की पूजा करने से सभी विघ्नों का नाश होता है और उपासक की सभी कामनाएं पूर्ण होती हैं. नारद पुराण के अनुसार संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रती को पूरे दिन का उपवास रखना चाहिए. शाम के समय संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा को सुननी चाहिए. गणेश चतुर्थी में गणेश जी के साथ चंद्रमा की पूजा का भी विधान है. सूर्योदय से शुरू होने वाला संकष्टी व्रत चंद्र दर्शन के बाद ही समाप्त होता है, इसलिए चन्द्र दर्शन और चन्द्रमा को अर्घ्य के बिना यह व्रत पूर्ण नहीं माना जाता है. गणेश जी तांत्रिक उपासना भी गुप्त रूप से गुजरात और महाराष्ट्र में की जाती है. इन उपासनाओं से गणेश की सिद्धि होती है और साधकों की इच्छित मनोकामनाएं पूरी होती हैं.  

पूजा मुहूर्त –

पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 25 जून मंगलवार के दिन 01:23 AM से शुरू होगी और यह तिथि 25 जून को ही रात 11:10 PM पर खत्म होगी. उदयातिथि की मान्यता है इसलिए आषाढ़ की संकष्टी चतुर्थी व्रत 25 जून को रखा जाएगा. इस दिन चंद्रोदय रात 10:27 PM पर होगा इसलिए संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने वाले रात में 10:27 PM के बाद ही चंद्रमा को अर्घ्य दे सकते हैं.

कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी के दिन ये करना चाहिए –

1-कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को भूलकर भी तुलसी दल नहीं चढ़ाना चाहिए. इससे भगवान गणेश नाराज हो जाते हैं. इसकी जगह गणपति जी को दुर्वा चढ़ाएं. इस दिन उन्हें बिल्व पत्र भी अर्पित करें.

2-चतुर्थी व्रत के दिन व्रती भूलकर भी कंद मूल अर्थात जमीन में उगने वाले खाद्य पदार्थ का सेवन ना करें. इस दिन व्यक्ति को चुकुन्दर, गाजर, मूली, शकरकंद, बैगन आदि का सेवन नहीं करना चाहिए. अषाढ़ में इन्हें दूषित माना जाता है.

3- इस दिन चंद्र देव की पूजा भी की जाती है और चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है. चन्द्र दर्शन और अर्घ्य के बिना व्रत पूर्ण नहीं माना जाता है. अर्घ्य ऊँचे पीढ़े पर खड़े होकर देना चाहिए जिससे अर्घ्य के छींटे शरीर पर ना पड़े. चंद्रमा को अर्घ्य प्रदान करने के बाद ही व्रत का पारण करना चाहिए.

4-भगवान गणेश स्वयं शाक्त हैं इसलिए उनको सिंदूर बहुत ही प्रिय है. इसलिए संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन पूजा के समय भगवान गणेश को सिंदूर का तिलक लगाएं और स्वयं भी सिंदूर का तिलक करें. ऐसा करने से जीवन में सुख एवं समृद्धि का आगमन होता है.

5-आज के दिन पूजा में भगवान गणेश जी को हल्दी की गांठ चढ़ाये इससे जीवन की सभी परेशानियों का अंत होता है. हल्दी से अभिषेक भी कर सकते हैं.