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राम मन्दिर के राजनीतिक उद्घाटन के बाद नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव का बिगुल फूंका था. मोदी के लिए श्री राम और राम मन्दिर दोनों ही राजनीति का विषय था, आस्था का विषय नहीं था. अधूरे शिखर विहीन मन्दिर का अशुभ काल में उद्घाटन करने के कारण मोदी को हिन्दू संतों की नाराजगी और श्राप भी प्राप्त हुआ था. भाजपा-आरएसएस ने मन्दिर उद्घाटन से राजनीतिक लाभ प्राप्त करने का प्रयास किया लेकिन इण्डिया गठ्बन्धन के जॉब, गरीबी, महंगाई, भ्रष्टाचार इत्यादि वास्तविक मुद्दों के कारण यह धरा रह गया. लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी और उसका हिंदुत्व श्री राम से सम्बन्धित जन्मभूमि अयोध्या, तपोभूमि चित्रकूट सहित सभी पवित्र तीर्थों में हार गया. भाजपा ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लोकसभा चुनाव लड़ा था लेकिन अंतिम रिजल्ट में यह चुनाव इण्डिया गठबंधन ने जीता और मोदी का अहंकार चूर चूर हो गया.

इलेक्शन कमिशन की बेईमानी से लोकसभा चुनाव में मोदी-भाजपा कुल 240 सीट जीत पाई. आंकड़ों के अनुसार 30 लोकसभा सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार 500 वोट से जीते जबकि 100 सीटों पर इनकी 1000 वोट से जीत हुई है. इलेक्शन कमिशन ने प्रारम्भ से ही भाजपा के लिए एक तरफा काम किया, EC-भाजपा द्वारा चुनाव में जगह जगह धांधली की गई और बूथ लूटे गये. नरेंद्र मोदी और भाजपा नेताओं ने चुनाव में मॉडल कोड ऑफ़ कंडक्ट की धज्जियां उड़ाई लेकिन इलेक्शन कमिशन ने कोई कार्यवाई नहीं की थी. नरेद्र मोदी यह चुनाव हार चूका था लेकिन इलेक्शन कमिशन और ब्यूरोक्रेसी की मदद से यह 240 सीट पाने में सफल हो गया. चुनाव से पूर्व इसने तेलंगाना की BRS की प्रमुख नेता K. Kavitha को ED द्वारा गिरफ्तार कर जेल भेजवा दिया जिससे BRS के क्षेत्रीय नेता टूट गये और भाजपा ज्वाइन कर लिए. तेलंगाना में इस प्रकार भाजपा ने अपनी चार सीट की वृद्धि कर लिया. चुनाव से पूर्व यही काम दिल्ली में मोदी ने किया, आम आदमी पार्टी के प्रमुख नेताओं को जेल किया और अंत में सीएम अरविन्द केजरीवाल को भी जेल कर दिया. इससे आम आदमी के कार्यकर्ता हतोत्साहित हो गये, प्रमुख नेताओ को चुनाव की तैयारी का वक्त नहीं मिला जिससे दिल्ली की सभी सात सीटें जीत गये. नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव से पहले स्वीप करने के उद्देश्य से ED-CBI की मदद से महाराष्ट्र में शिवसेना और एनसीपी को तोडा, लेकिन यह दांव उल्टा पड़ गया. महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव में भाजपा दस सीट पर सिमट गई.

इसी प्रकार अन्य राज्यों में भी नरेंद्र मोदी ने क्षेत्रीय पार्टियों तथा नेताओं के खिलाफ ED, CBI का दुरूपयोग कर राजनीतिक लाभ लेने का प्रयास किया और जगह जगह सफल हो गया. चुनाव के समय ED, CBI और इलेक्शन कमिशन ने इनका खुलकर साथ दिया और जो कर सकते थे इनके लिए किया. यदि निष्पक्ष चुनाव हुआ होता तो भाजपा 100 सीट पर सिमट चुकी थी. लेकिन इसके बावजूद नरेंद्र मोदी किसी तरह 240 सीट जीत पाया जिसमे कुछ 10 सीट पर विपक्ष सुप्रीमकोर्ट में चुनौती देने की तैयारी में है. मोदी के क्रिमनल हिंदुत्व की सबसे बड़ी हार हिंदी बेल्ट में हुई है विशेष रूप उत्तर प्रदेश में जहाँ ये 30 सीट हार गये हैं और जो जीते हैं उसमे भी जीत की मार्जिन कम है. नरेंद्र मोदी वाराणसी से किसी तरह पाप पूर्ण पंडों के वोट से जीत पाया है, इसे 3 लाख कम वोट मिले.

खैर चुनाव खत्म हो गया है और नरेंद्र मोदी तीसरी बार एनकेन प्रकारेण गठ्बन्धन से सरकार बना रहा है. इस गठ्बन्धन में प्रमुख पार्टियाँ जनता दल यूनाइटेड (JDU), TDP नायडू, शिव सेना (शिंदे), लोक जनशक्ति पासवान की पार्टी हैं. मोदी एक पंगु पीएम बन कर सरकार चलाएगा और नीतीश तथा नायडू से हमेशा भयभीत रहेगा. इण्डिया गठबन्धन न केवल सीटों से मजबूत है बल्कि नैतिक स्तर पर भी बलशाली है. गौरतलब ये है कि मोदी अब “जय श्री राम” संसद में नहीं बोल पायेगा भगवान ने इस धूर्त से यह छीन लिया. संसद का रेगुलर फीचर रहा ‘मोदी मोदी’ भी अब सुनने को नहीं मिलेगा. मोदी अब हिंदुत्व की बात भी नहीं कर सकता है. इन सबके बीच हिंदुत्व के समर्थक पुजारी और हिन्दू यह जाकर आवश्य खुश होंगे कि नरेंद्र मोदी ने आन्ध्र प्रदेश में BJP-TDP गठ्बन्धन किया था जहाँ दोनों मैनिफेस्टो 4% मुस्लिम आरक्षण है. सरकार बनने के बाद यही मोदी जो 10 साल मुस्लिम के प्रति घृणा फैलाता रहा TDP के अनुसार यह आरक्षण लागू करेगा. यह हिंदुत्व की अंतिम हिन्दू विरोधी कृत्य है. हिंदुत्व खत्म हो चूका है, इसका जनाजा निकल चूका है. नीतीश कुमार और चन्द्र बाबु नायडू की मांगे कुछ इस तरह की हैं –

खैर, राजनीतिक लेख लिखने का प्रयोजन नहीं था, यहाँ यह बताना था की नरेंद्र मोदी की महादशा क्यों विनाशक रही और क्यों विनाशक दशा के बाद भी पीएम बन गया ?

नरेंद्र मोदी ने 2024 लोक सभा चुनाव मंगल की महादशा और शनि की प्रत्यंतर दशा में किया. शनि मंगल से केंद्र में हैं लेकिन शत्रु राशि में है तथा भाव चलित में एकादश में है. मंगल नवांश और दशमांश दोनों नीच राशिगत है तथा द्वादश है. मंगल कमजोर है और हानि को दर्शाता है. मंगल के कमजोर होने से मोदी की स्पीच में भी मंगल का सत्व नहीं रहा था. शनि तृतीयेश अन्तर्दशा में था जो शत्रुराशि में है इसलिए रैली में दिए गये उसके सभी भाषण बेहूदा नीच व्यक्ति की तरह रहे हैं. शनि दशमांश में भी दशम भाव में है और दशमेश से युक्त है इसलिए अशुभ दशा होने के बाद भी राज्यभाव का फल मिल गया. शनि लंगड़ा है इसलिए पंगु सरकार होगी.
मंगल में शनि की दशा ज्यादातर Disastrous होती है, ज्यादातर हिन्दू ज्योतिष के ग्रन्थ यह कहते हैं. दशा निःसंदेह विनाशक थी और मोदी के लिए बेहद खराब रही, पार्टी हिंदी बेल्ट के अपने सभी गढ़ में बुरी तरह खत्म हुई और जिस मन्दिर की राजनीति नरेंद्र मोदी ने दस साल की थी, उसी जगह पर इनकी बड़ी पराजय हो गई. लेकिन यदि कुंडली में राजयोग प्रबल हों तो विनाशक दशा भी राजयोग को एनकेनप्रकारेण सुरक्षित कर देती है. मोदी की कुंडली में नवमेश, पंचमेश, चतुर्थेश और लग्नेश द्वारा निर्मित प्रबल राजयोग हैं. गौरतलब है कि कुंडली में शनि शुक्र को सिग्नीफाई करता है और दशम में एक साथ ही है. शुक्र द्वादशेश है, द्वादशेश यदि दशा में किसी भी तरह इन्वोल्व हो तो उथलपुथल मचा देता है. यह इस दशा के फल से समझा जा सकता है. दशम स्थित शुक्र का एक फल यहाँ लिखा गया है.