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केदारनाथ धाम के तीर्थ पुरोहित ने पिछले साल 2023 जून में मंदिर को दान में मिला 23.78 किलो सोना चोरी होने का आरोप लगाया था. यह सोना मंदिर के गर्भगृह की दीवारों पर परत के रूप में लगाया गया था, जिसे मुंबई के एक व्यापारी ने दान किया था. प्रमुख पुजारी का आरोप है कि मंदिर के गर्भगृह में पिछले साल सितंबर-अक्टूबर में सोने की परत चढ़ाने का काम हुआ था. जब सोने की प्लेटें लगाई गईं थीं, तो अब उन्हें पॉलिश करने की क्या जरूरत थी? लिहाजा इसकी जांच जरूरी है.

एक दानदाता के सोना दान करने पर संदेह किया गया है. दान में कितना सोना मिला? तांबे में सोना क्यों मिलाया गया? ऐसे कई सवाल हैं. केदारनाथ ही नहीं बद्रीनाथ में भी ऐसा घोटाला होने की जानकारी मिल रही है. बढ़ते विवाद के बीच अब उत्तराखंड सरकार ने संस्कृति एवं धार्मिक मामलों के सचिव हरिचंद्र सेमवाल और गढ़वाल कमिश्नर की अध्यक्षता में एक जांच कमेटी बनाई थी. राज्य के पर्यटन, धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने कहा था- कमेटी में विशेषज्ञों के साथ स्वर्णकार भी होंगे. जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. लेकिन सोने के असली या नकली होने की जांच के लिए जो कमेटी बनाई गई थी, उसे फिर से ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है. इससे घपला का संदेह पुख्ता हो रहा है.

गौरतलब है कि केदारनाथ में 2022 सितंबर से अक्टूबर के बीच सोने की परत चढ़ाने का काम पूरा हुआ था. इसके पहले मुंबई के एक व्यापारी ने 23 किलो सोना मंदिर समिति को दान किया था. जिसके बाद गर्भगृह की दीवारों और छत को 550 सोने की प्लेट्स से मढ़ा गया था. गोल्ड प्लेटिंग का काम भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के दो अधिकारियों की देखरेख में हुआ था. करीब 19 कारीगरों ने इस काम को पूरा किया. प्रधान तीर्थ पुरोहित आचार्य संतोष त्रिवेदी का कहना था कि केदारनाथ मोक्षधाम है और मोक्षधाम में सोना नहीं लगाया जाता. उन्होंने यह भी कहा था कि परत चढ़ाने के लिए ड्रिल मशीन का इस्तेमाल किया गया, जिससे गर्भगृह की पांडवकालीन दीवारों को नुकसान हुआ. संतोष त्रिवेदी का आरोप है कि केदारनाथ धाम में लगाया गया 23 किलो सोना चोरी हो गया है, क्योंकि जब सोने की प्लेटें लगाई गईं थीं, तो पॉलिश करने की क्या जरूरत थी?

भाजपा की राज्यसरकार ने इसको दबा दिया और केंद्र में नरेंद्र मोदी ने भी ऑंखें बंद रखीं. ज्योतिर्पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद इस मुद्दे को लगातार उठा रहे हैं लेकिन भाजपा की सरकार इसको नजरंदाज कर रही है. यदि केदारनाथ मंदिर में लगे सोने की जांच नहीं की जाती है, तो यही समझा जाएगा कि भगवान केदारनाथ के साथ धोखा हुआ है.