अमावस्या का दिन हिन्दू धर्म में बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. यह तिथि पितरों का श्राद्ध और तर्पण के लिए विशेष महत्व की मानी गई है. अमावस्या में दान-पुण्य का भी बेहद महत्व है विशेष रूप जब इसमें कोई पर्व पड़ता है. वैसे तो तात्विक दृष्टि कोई किसी का पितर नहीं होता और आत्मा न मरती है और न जन्म लेती है लेकिन लोकरीति से पितृ पूजन किया जाता है. धार्मिक मयताओं के अनुसार ज्येष्ठ अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति आती है और पुण्य फलों की प्राप्ति होती है. ज्येष्ठ माह की 6 तारीख को अमावस्या रहेगी. इस दिन वटसावित्री का व्रत रखा जायेगा. शास्त्रों में कहा गया है – ‘वट मूले तोपवासा’ वट के नीचे किये गये तप का शीघ्र फल मिलता है. पुराणों में कहा गया है कि वट में ब्रह्मा, विष्णु व महेश तीनों का वास है. इसके नीचे बैठकर पूजन, जप, व्रत कथा आदि सुनने से मनोकामना पूरी होती है.
मुहूर्त-
हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ अमावस्या 5 जून, 2024 रात्रि 07 बजकर 54 मिनट पर शुरू होगी. इसका समापन अगले दिन 6 जून, 2024 शाम 06 बजकर 07 मिनट पर होगा. पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ अमावस्या 6 जून, 2024 को मनाई जाएगी.
इस दिन क्या करें –
1-आप अपने पितरों के लिए तर्पण जल, सफेद फूल और काले तिल से करना चाहिए. इस दिन पितरों के लिए पिंडदान, श्राद्ध कर्म दोपहर में करें और 02:30 पीएम के बीच पूरा करें. ज्येष्ठ अमावस्या के दिन काले तिल से पितरों का तर्पण करने से व्यक्ति को पितरो की कृपा प्राप्ति होती है.
2- इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए. अमावस्या पर दान-स्नान करने का विशेष महत्व है. ज्येष्ठ अमावस्या पर जरुरतमंदो को अपनी क्षमता अनुसार भोजन करवाना चाहिए. साथ ही दान-पुण्य करना चाहिए, जिससे पुण्य की प्राप्ति होती है. ऐसा करने से पितृ दोष से मुक्ति प्राप्त होती है. ज्येष्ठ में जल दान का विशेष महत्व है.
3-पीपल के पेड़ में श्री हरि भगवान विष्णु का वास होता है साथ में पितरों का भी वास है. इस पर पिप्पलाद ऋषि का विशेष आशीर्वाद रहता है. ज्येष्ठ अमावस्या की तिथि पर पीपल के पड़ पर जल अर्पित करना और इसकी परिक्रमा करनी चाहिए. ऐसा करने से सभी ऋषियों और पितरों को प्रसन्नता होती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है.

