धर्म का ज्ञान देने वाला गुरु यदि धर्म के तत्व को नहीं जानता और उसका अनुगमन शास्त्र के अनुसार नहीं करता तब वह धर्म को अफीम की तरह प्रयोग करता है. यदि धर्म का उपदेशक त्यागी तथा तपस्वी नहीं है तो वह धर्म का शास्त्रविहित उपदेश भी नहीं कर सकता है क्योंकि उसे शास्त्र का ज्ञान नहीं होगा. शास्त्र उन्हें ही हस्तगत होते हैं जिनमें वैराग्य और तप दोनों होता है. भारत में सोशल मीडिया अनेक प्रकार से बर्बादी का कारण बन चूका है. सोशल मीडिया के प्लेटफोर्म इन्स्टाग्राम, फेसबुक, व्हाट्सएप और यूट्यूब पर न केवल क्रिमिनल सक्रिय हैं बल्कि वेश्यावृत्ति का रैकेट, कबूतरबाजी करने वालों का रैकेट और धर्म के क्षेत्र में कार्यरत ऐसे लोग भी हैं जो लोगों को अपनी मनगढंत कहानियों और कथाओं से बरगलाते हैं. पौराणिक कथाओं में भी ये धूर्त उसके वास्तविक सन्दर्भ से काट कर उसमें अपनी मनगढंत कहानियां जोड़कर लोगों को बरगलाते और विकृत करते हैं. सोशल मीडिया पर धर्म एक अफीम की तरह परोसा जाता है जिससे बच्चों को बचाने की जरूरत है. धर्म की इस अफीम को परोसने वाले तो शुद्ध बिजनेस करते हैं लेकिन उसको खाने वाले अनेक प्रकार से बर्बाद होते हैं. इस धर्म की अफीम को परोसने वालों को धर्म का ज्ञान नहीं होता, वे धर्म को मनोरंजन का विषय समझते हैं और उसको उसी प्रकार से बेचते हैं. इस धार्मिक प्रोपगेंडा में धूर्त बाबाओं के साथ साथ बड़ी संख्या में पंडों-पुजारियों के घरों की महिलाएं और लड़कियां भी शरीक हैं जो इन्स्टाग्राम और यूट्यूब पर रोज रील बना कर लाखों की संख्या में व्यू लेती हैं और उससे पैसे कमाती हैं. सोशल मीडिया पर रील बनाने वालों का तो मानो आतंक ही है. हालिया में सोशल मीडिया पर अनेक रील बनाने वाले गिरफ्तार हुए जिनमें कई कबूतरबाजी में शरीक पाए गये थे और अनेक गंदी रील बनाकर प्रसिद्ध हो रहे थे.

इन्स्टाग्राम और यूट्यूब के घटिया चैनलों के दुष्प्रभाव का परिणाम कितना खरनाक हो सकता है यह इस न्यूज स्टोरी से पता चलता है. पिछले 24 मई को मथुरा में 13-14 साल की तीन लडकियों ने ट्रेन से कटकर जान दे दी थी. यह खबर काफी वायरल हुई है. मथुरा में ट्रेन से कटने वाली ये लडकियाँ काफी कम उम्र की थीं. इनकी पहचान माया, गौरी और माही के रूप में हुई है. पुलिस के अनुसार ये तीनों लडकियाँ मुजफ्फरपुर (बिहार) के योगिया मठ से 13 मई को लापता हुई थीं. ये तीनों लड़कियां कोचिंग जाती थी और 6 महीने पहले एक-दूसरे के कॉन्टेक्ट में आईं थीं. सभी एकसाथ ही घर से फरार भी हुई थीं. इन तीनों में सबसे छोटी लड़की का नाम गौरी है जो 8वीं में पढ़ती थी. ये लडकियाँ अपना ज्यादा समय यूट्यूब, इंस्टाग्राम पर सिर्फ धार्मिक और मोटिवेशनल प्रवचन सुनने में व्यतीत करती थीं. बताया जाता है कि ये तीनों यूट्यूब पर ‘मृत्यु और अमरता’ जैसे घटिया वीडियोज को खूब देखतीं थीं.

इनकी मेहँदी रंगे हाथ पर एसवीजी लिखा हुआ था, बाद में जाँचपड़ताल से ज्ञात हुआ कि यह “शिवगुरु” का शॉर्ट नाम है. इन्हें सोशल मीडिया पर धार्मिक पोस्ट के जरिए शिवगुरु भक्ति का भाव जगा था. इन तीनों ने 5 महीने से मांस-मछली भी खाना छोड़ दिया था. कहती थीं कि शरीर नश्वर है. एक लड़की माही अपनी मृत मां की आत्मा से भी बात करने का दावा करती थी. तीनों लड़कियां 24 मई की दोपहर 1.20 बजे तीनों डाउन लाइन पर हाथ पकड़ कर मालगाड़ी के नीचे कूद गई थी.
माही के घर पर एक लेटर मिला है जिसमें उसने लिखा था- ‘हमको बाबा बुलाए हैं. सब ठीक करने के लिए हमको जाना होगा। हम तीनों लालगंज या हिमालय जा रहे हैं. खोजने की कोशिश मत करना, क्योंकि हम जहर खरीद चुके हैं. खोजा तो हम पीकर मर जाएंगे.’ माया और गौरी को बरगलाने वाली लड़की यह माही थी जो दसवीं में पढ़ती थी. बताया जाता है कि अखाड़ाघाट की रहने वाली माही जब बहुत छोटी थी, तब उसकी मां गुजर गई थी. मां की मौत के बाद माही के जीवन में भटकाव आने लगा. आकंठ भक्ति में डूबी माही के दिमाग में यह बैठ गया कि यह शरीर नश्वर है. वह अपनी मां से मृत्यु के बाद भी बात करने का दावा करने लगी. यह शरीर नश्वर है और कभी मरता नहीं, अमरत्व प्राप्त करता है. माही के साथ कोचिंग में पढ़ रही योगियामठ की गौरी और माया के दिमाग में भी यह बातें बैठ गई. जिसके बाद हिमालय पर बाबा से मिलने की चिट्ठी लिखकर तीनों मथुरा पहुंच गई थीं.
तुम अपने रास्ते, मैं अपने रास्ते
सोशल मीडिया और धार्मिक अज्ञानता की एक मिशाल और भी सामने आई है. धर्म की अफीम खाकर आत्महत्या करने वाली इस खबर के अनुसार उत्तर प्रदेश के जिला जालौन में 28 मई को दो दोस्तों अमन वर्मा और बालेंद्रपाल ने जहर खाकर जान दे दी. दोनों ओशो रजनीश से प्रभावित बताये जाते हैं. आत्महत्या से पहले दोनों ने वॉट्सएप स्टेटस लगाए. इसमें जलती चिता, शवयात्रा, ओशो की तस्वीरें थीं. एक तस्वीर में लिखा था- ‘तुम अपने रास्ते, मैं अपने रास्ते’.



