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विवाह रात में होना चाहिए या दिन में होना चाहिए ? इस प्रश्न का एक उत्तर तो ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती जी ने सही दिया है परन्तु दूसरा उत्तर शास्त्रीय दृष्टि से गलत है. वैदिक विवाह दिन में नहीं कराए जाते थे क्योंकि दिन सूर्य द्वारा शासित होता है और सूर्य को सुख कारक नहीं माना जाता है इसलिए विवाह रात्रि में ही कराया जाता था. आश्वलायन इत्यादि गृह्यसूत्रों में विवाह प्रकरण में रात्रि में विवाह का ही जिक्र है. “ब्राह्मण्याश्च वृद्ध्या जीवपत्न्या जीवप्रजाया अगार एतां रात्रीं वसेत्” विवाह की रात्रि में किसी गुरु पत्नी और किसी जीवप्रजा वृद्ध ब्राह्मणी के घर वर वधू को निवास करना चाहिए . विवाह के बाद युगल द्वारा अरुंधती तारा देखने का प्रकरण भी विवाह को रात्रि में होना ही सिद्ध करता है.