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धर्म का शास्त्रविहित अनुपालन न करने पर यह भी ठीक उसी तरह विनाश कर देता है जैसे कोई शत्रु मन्त्र जापक का विनाश करता है या मन्त्र को शास्त्रविहित ढंग से जप न करने पर विनाश होता है या गुरु द्वारा प्राप्त न कर जप करे तो जप करने वाले का विनाश कर देता है. यह कारण है कि भगवद्गीता में शास्त्रविहित कर्म का आदेश है. एक जगह लिखा है कि रावण ने अंगरहित दुर्गा शप्तशती का पाठ किया था जिससे उसका नाश हो गया था. कथा के अनुसार रावण आकाश मार्ग से जा रहा था. उसने देखा की कोई ब्राह्मण दुर्गाशप्तशती का पाठ कर रहा है. रावण विमान से उतर गया और उसने पूछा- “ब्राह्मण! ये कैसा ग्रन्थ है?” ब्राह्मण ने कहा-“यह ग्रन्थ सर्वसिद्धिप्रद देवी दुर्गा का विग्रह स्वरूप है”. रावण ने कहा- ये ग्रन्थ मुझे दे दो. ब्राह्मण ने मना किया तो रावण उसे छीन ले गया. उसे शप्तशती के अंग और उपांग का ज्ञान नहीं था. रावण ने उसका यूँ ही पाठ किया. इससे शक्ति ने रुष्ट होकर उसका विनाश कर दिया. राजा राम ने उसका अंग-उपांगो सहित विधि पूर्वक पाठ किया था इसलिए उन्होंने रावण का वध कर दिया.

हिंदुत्व के नाश की प्रमुख वजह अहंकार, असुरी अशास्त्रविहित कर्म करना ही है. यह ठग नरेंद्र मोदी एक स्वेछाचारी व्यक्ति है, यह शास्त्रों और धर्मगुरुओं के वचनों में विश्वास नहीं करता है. इसने वर्जित राहु काल और चातुर्मास में मन्दिर भूमि पूजा करी, वर्जित काल में अपूर्ण मन्दिर का उद्घाटन किया. मन्दिर उद्घाटन में वेश्याओं को बुलाया लेकिन हिन्दू धर्म के सबसे बड़े धर्म गुरु शंकराचार्यों को नहीं बुलाया. सनातन धर्म के सबसे बड़े आचार्यों का अपमान किया गया और नकली शंकराचार्य बनाकर योगी-मोदी ने घुमाया. मंदिर उद्घाटन में तीन चाटुकार बल्लभाचार्यों को बुलाया लेकिन उन्हें सम्मान नहीं दिया, नीचे प्लास्टिक की कुर्सी पर बैठा कर बोला-यहाँ से देखो मैं ही भगवान हूँ, मेरी लीला देखो. असुरी सम्पत वाले हिंदुत्व ठगों ने जो इतिहास लिखा है वह पहले पौराणिक काल में भी लिखा गया था. इनके अत्याचार, बुलडोजर राज, दुराचार, लूटपाट, अविद्या का विस्तार, झूठ, हिंसा का पैटर्न वैसा ही था इसलिए हिंदुत्व का पूर्ण नाश की सम्भावना है. धार्मिक हिन्दुओं में यह मैसेज गया कि ये तो अधर्मी हैं, जो चाहे वो करते हैं, न धर्म गुरुओं की बात मानते हैं और न धर्म ग्रन्थों की बात मानते है. पुरी शंकराचार्य स्वामी निश्चलानन्द सरस्वती जी महाराज ने इस वीडियो में कहा था कि इनका विनाश हो जाएगा. उन्होंने कहा मोदी खुद ही धर्म गुरु बना घूम रहा है ऐसे में यह किसी धर्म गुरु को क्यों सम्मान देगा ! उनका श्राप पूर्णत: फलीभूत हुआ है.

आश्चर्य है कि धर्म के सभी गुणों से व्यतिरिक्त एक महा झूठा, ठग, धूर्त, क्रूर,अमानवीय,अनैतिक, अत्याचारी व्यक्ति को हिन्दुओं ने अपना उद्धारक समझा और दो बार चुनाव में बड़े मतों से जिताया. यह नरेंद्र मोदी टीका लगाकर खुद शंकराचार्य बन तमाशा करने लगा. कभी गुफा में बैठता, कभी गंगा में माला दिखाते हुए फेरता, कभी समुद्र में बैठ जाता. भांति भांति की कालनेमि क्रियाएं करता. कालनेमि क्रियाओं के उपरान्त अमृत काल में देश की सम्पत्ति लूटने का उपक्रम करता. लो अडानी लो, छक कर पीयो, तुम भी लो अम्बानी, तुम भी लो नीरव, मेरा अमृत काल है. वर्तमान में मोदी की मंगल अंतर्गत शनि की प्रत्यंतर दशा है. मंगल लगभग राशि संधि में स्थित है और शनि चतुर्थेश केंद्र में शत्रु राशि में है. सभी ज्योतिष के प्रमुख ग्रन्थों में कहा गया है “शनि केन्द्र या एकादश या त्रिकोण में हो ((शत्रु राशिगत) हो तो मंगल की महादशा में अपनी अन्तर्दशा में विस्थापन, मानसिक कष्ट, युद्ध क्षेत्र में हानि, पाप कर्म, मित्रों एवं संबंधियों से विरोध, अपमान, जन सहयोग की हानि आदि करता है” मंगल न केवल राशि संधि में है बल्कि यह नवांश और दसमांश में नीच भावगत होकर द्वादश में भी है. नवांश में मंगल शनि अशुभ स्थान में भी हैं जिसके कारण दशा खराब और विनाशक है. मंगल का नक्षत्र स्वामी भी राशि संधि में अष्टमेश से युक्त है इसलिए मोदी कमोवेश पागलो की तरह भाषण दे रहा है.

हिंदुत्व का इस तरह मोदी ने नाश ही कर दिया है. हिंदुत्व एक बदनाम, असुरी, अशुभ, क्रिमिनल राजनीतिक विचारधारा बन कर रह गई है. इनका नाश होना देश के लिए शुभ संकेत हैं.