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एस्‍ट्राजेनेका द्वारा डेवलप कोरोना वायरस वैक्‍सीन को लेकर मचे बवाल के बीच दिग्‍गज दवा निर्माता कंपनी अब दुनियाभर से अपने COVID-19 टीके को वापस ले रही है. हालिया में एस्‍ट्राजेनेका ने एक कोर्ट में वैक्‍सीन के खतरनाक साइड इफेक्‍ट की बात स्‍वीकार की थी. कंपनी ने कोर्ट में जमा किए गए अपने दस्तावेजों में कहा कि उसकी कोरोना वैक्सीन से कुछ मामलों में थ्रॉम्बोसिस थ्रॉम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम यानी TTS हो सकता है. इस बीमारी से शरीर में खून के थक्के जम जाते हैं और प्लेटलेट्स की संख्या गिर जाती है. इस वैक्सीन के कारण अनेक लोगों की मृत्यु हुई है.

एस्ट्राजेनेका पर आरोप है कि उनकी वैक्सीन से कई अन्य को गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ा है. ब्रिटेन के 50 से ज्‍यादा लोगों ने एस्‍ट्राजेनेका की कोरोना वैक्‍सीन के साइड इफेक्‍ट को लेकर कोर्ट में केस किया था. वेक्‍सजेव्रिया वैक्‍सीन को दुनियाभर से वापस लेने की प्रक्रिया के बीच एस्‍ट्राजेनेका ने कहा है कि आदलत में साइड इफेक्‍ट की बात और वैक्‍सीन की वापसी का समय महज एक इत्‍तफाक है. इन दोनों का कोई संबंध नहीं है. दवा निर्माता कंपनी का कहना है कि COVID-19 वैक्‍सीन वेक्‍सजेव्रिया को व्‍यावसायिक वजहों अर्थात विक्री न होने के चलते बाजार से वापस लिया जा रहा है.

आप को बता दें कि भारत में करोड़ों लोगों को लगाई गई वैक्सीन कोविशील्ड इसी कम्पनी की वैक्सीन है जिसका उत्पादन सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा किया गया था. इलेक्टोरल बांड्स मामले में मोदी इस केस में फंस चुके हैं. उन्होंने सीरम इंस्टीट्यूट से 52 करोड़ लिए थे और उसके बाद इसकी सरकारी खरीद की थी. दलाली और AstraZeneca मामले के सामने आने के बाद मोदी ने कोविडशील्ड सर्टिफिकेट से आननफानन में अपना नाम हटवाया है. सुप्रीम कोर्ट जल्द ही कोविशील्ड से जुड़े दुर्लभ दुष्प्रभावों पर एक याचिका पर सुनवाई करेगा. हालांकि सुनवाई की तारीख अभी तय नहीं की गई है, लेकिन भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स की जांच के लिए एक विशेषज्ञ पैनल की मांग वाली याचिका को स्वीकार कर लिया है.