शिवपुराण की विद्येश्वर संहिता में कहा गया है कि महानैवेद्य पौष मास में अथवा किसी विशेष पर्व, संक्रांति इत्यादि में शिव को अर्पित करने से इस के दान के प्रभाव से मनुष्य राज्य की प्राप्ति करता है. एक हजार नैवेद्यो के दान से पूर्णायु (120 YEARS) की प्राप्ति होती है. ऐसे 36 हजार महानैवेद्य के दान से अखंड साम्राज्य प्राप्त होता है.
सभी चीज बारह के हिसाब से ग्रहण करना चाहिए. कमसे कम वाला महानैवेद्य इस प्रकार है –
चावल – बारह किलो
काली मिर्च -बारह पाव
मधु -बारह पाव
घी – इतना ही
मुंग- बारह किलो
बारह प्रकार के व्यंजन’
घी में तले पुए
लड्डू और चावल के मिष्ठान्न बारह किलो
दही, दूध, नारियल, बारह सुपारी , कर्पुर , कत्था , पांच प्रकार के सुगन्धित द्रव्य, 36 पत्ते पान के
यह महा नैवेद्य है. इसके दान से अकस्मात मृत्यु नहीं होती.
कब करना चाहिए – पौष माह में पुरे महीने शिव पूजन त्रिकाल करना चाहिए. व्रत पूर्वक करना चाहिए. दिन में व्रत और सायं प्रदोष काल में शिव पूजन करने के बाद भोजन.
पौष मास की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को यह महाप्रसाद शिव को किसी मन्दिर में अर्पित करके किसी आचार्य को प्रदान करना चाहिए. अथवा अपने जन्म नक्षत्र के दिन, कार्तिक संक्रांति, या नव सम्वत्सर के दिन या किसी शुभ योग में यह करना चाहिए.

