मुस्लिम-बहुल पाकिस्तान 4.4 मिलियन हिंदुओं का घर है, जो आबादी का केवल 2.14 प्रतिशत है. हर साल यहाँ हिंगलाज माता का दर्शन के लिए यात्रा होती है. हिंगलाज माता का प्राचीन गुफा मंदिर देश के कुछ हिंदू स्थलों में से एक है, जो हर साल बड़ी संख्या में तीर्थयात्रियों को आकर्षित करता है. हिंगलाज माता मन्दिर, पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रान्त के हिंगलाज में हिंगोल नदी के तट पर स्थित है. यह हिन्दू देवी सती को समर्पित इक्यावन शक्तिपीठों में से एक है. यहाँ देवी को हिंगलाज देवी या हिंगुला देवी भी कहते हैं. इस मन्दिर को नानी मन्दिर के नामों से भी जाना जाता. देवी विग्रह पर सिंदूर (हिंगुल) पुते होने कारण इन्हें हिंगुला कहते हैं.

यह डोडिया राजपूत की कुलदेवी हैं तथा मनणा जागीरदारो, सैफाऊ, सिद्धपजागीरदार (राजपुरोहितो) की भी कुलदेवी हैं. हिंगलाज देवी के बारे कहा जाता है कि सातो द्वीपों में सब शक्तियां रात्रि में रास रचाती है और प्रात:काल सब शक्तियां भगवती हिंगलाज के गिर में आ जाती है.
सातो द्वीप शक्ति सब रात को रचात रास।
प्रात:आप तिहु मात हिंगलाज गिर में॥
पाकिस्तान में हिंगलाज मंदिर तीर्थयात्रा शुक्रवार को प्रारम्भ हुई और शनिवार को संपन्न हो गई. आयोजकों ने कहा कि शुक्रवार को शुरू हुई तीर्थयात्रा में एक लाख से अधिक हिंदुओं ने हिस्सा लिया. इस तीर्थयात्रा के दौरान श्रद्धालु ;पुराने ज्वालामुखी के लावा से बने कीचड़ को पार कर सैकड़ों सीढ़ियां चढ़कर हिंगुला देवी पर्वत के शिखर तक पहुंचते हैं, जहां हिंगलाज माता का मंदिर स्थित है. हिंगलाज माता मंदिर पाकिस्तान में कुछेक हिंदू धार्मिक स्थलों में से एक है जहां हर साल बड़ी संख्या में तीर्थयात्री जुटते हैं. इस स्थान पर माता सती के अवशेष गिरे थे.

28 साल की कंवल कुमार ने अपने पति के साथ पहली बार मंदिर की यात्रा की. उन्होंने कहा, “शादी के छह साल बाद भी हमें अभी तक कोई बच्चा नहीं हुआ है, इसलिए हमें देवी से कृपा की उम्मीद है.” “हमारा मानना है कि कोई भी खाली हाथ नहीं लौटता। हिंगलाज माता सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं.” हिंगलाज माता की यात्रा में पाकिस्तान के हिंदू ही शामिल हो सकते हैं. एक दशक पहले जब भारत में सेक्युलर सरकार थी और हिंदुस्तान पाकिस्तान की दुश्मनी कम थी तब भारत से भी हिन्दू दर्शन के लिए जाते थे.

