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हर साल चैत्र पूर्णिमा को हनुमान जयंती का त्योहार मनाया जाता है. ऐसी मान्यताएं हैं कि हनुमान जी चिरंजीवी हैं और आज भी सशरीर धरती पर मौजूद हैं. हनुमान जन्मोत्सव पर हनुमान जी की विशेष पूजा अर्चना की जाती है. हनुमान जन्मोसत्व पर उनके ये कुछ सिद्ध मन्त्र दिए जा रहे हैं. इन मन्त्रो के जप से हनुमान जी की शीघ्र प्रसन्नता होती है ऐसा शास्त्रों में कहा गया है. हनुमान जी शीघ्र संकटों का नाश करते हैं “संकट कटे मिटे सब पीरा,जो सुमिरै हनुमत बल बीरा “. इन मन्त्रों का जप अनुष्ठान रात्रि के महूर्त में करना चाहिए. मंगलवार को पूर्णिमा और जयंती होने से यह काफी सिद्धिप्रद है. इन मन्त्रो का जप के बाद हनुमान चलीसा का पाठ करके आरती करना चाहिए. हनुमान चालीसा सिद्ध कवि गोस्वामी तुलसीदास की रचना है, इसका पाठ स्तोत्र की तरह ही फल प्रदान करता है.

विनियोग- हनुमन्मन्त्रस्य ईश्वरः ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः, हनुमान् देवता । हां बीजं, नमः शक्तिः , मं कीलकं; मम हनुमत्प्रीत्यर्थे जपे विनियोगः ।

हृदयादि न्यासः – ॐ नमो भगवते आञ्जनेयाय हृदयाय नमः । रुद्रमूर्तये शिरसे स्वाहा । वायुसुताय शिखायै वषट् । अग्निगर्भाय कवचायहुम् । रामदूताय नेत्रत्रयाय वौषट् । ब्रह्मास्त्रनिवारणाय अस्त्राय फट् ।

करन्यासः -ह्रां अङ्गुष्ठाभ्यां नमः । ह्रीं तर्जनीभ्यां नमः । ह्रूं मध्यमाभ्यां नमः । ह्रैं अनामिकाभ्यां नमः । ह्रौं कनिष्ठिकाभ्यां नमः । ह्रः करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः ।

ध्यानं –
स्फटिकाभं स्वर्णकान्तिं द्विभुजं च कृताञ्जलिम् ।
कुण्डलद्वयसंशोभिमुखाम्भोजं मुहुर्भजे ॥

मन्त्र

हौं ॐ नमो भगवन् प्रकटपराक्रम आक्रान्तदिङ्मण्डल
यशोवितानधवलीकृतजगत्त्रितय वज्रदेह रुद्रावतार
लङ्कापुरीदहन उदधिलङ्घन दशग्रीवकृतान्तक,
सीताश्वासन, अञ्जनागर्भसम्भव, रामलक्ष्मणानन्दकर
कपिसैन्यप्राकारक सुग्रीवधारण पर्वतोत्पाटन बालब्रह्मचारिन्
गम्भीरशब्द सर्वग्रहविनाशन सर्वज्वरोत्सादन डाकिनीविध्वंसिन्
ॐ ह्रीं हा हा हा हंस हंस एहि सर्वविषं हर हर परबलं क्षोभय क्षोभय मम सर्वकार्याणि साधय साधय हुं फट् स्वाहा ।

दूसरा मन्त्र –
विनियोग- अस्य श्रीहनुमन्मन्त्रस्य ब्रह्मा ऋषिः गायत्री छन्दः हनुमान् देवता हां बीजं हीं शक्तिः, हनुमत्प्रीत्यर्थे जपे विनियोगः ।

हृदयादि न्यासः – ॐ नमो भगवते आञ्जनेयाय हृदयाय नमः । रुद्रमूर्तये शिरसे स्वाहा । वायुसुताय शिखायै वषट् । अग्निगर्भाय कवचायहुम् । रामदूताय नेत्रत्रयाय वौषट् । ब्रह्मास्त्रनिवारणाय अस्त्राय फट् ।

करन्यासः -ह्रां अङ्गुष्ठाभ्यां नमः । ह्रीं तर्जनीभ्यां नमः । ह्रूं मध्यमाभ्यां नमः । ह्रैं अनामिकाभ्यां नमः । ह्रौं कनिष्ठिकाभ्यां नमः । ह्रः करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः ।

ध्यानम् –
आञ्जनेयमतिपाटलाननं काञ्चनाद्रिकमनीयविग्रहम् ।
पारिजाततरुमूलवासिनं भावयामि पवमाननन्दनम् ॥

3-तीसरा मन्त्र विद्या के लिए

मन्त्र- ॐ नमो भगवते मम मदनक्षोभं संहर संहर आत्मतत्त्वं प्रकाशय प्रकाशय हुम् फट स्वाहा ।

करन्यास इत्यादि ऊपर की तरह ही करें .
4-. चौथा मन्त्र पिसाच बाधा के लिए

मन्त्र- कशिं कुक्ष वरवर अञ्जनावरपुत्र आवेशि आवेशि (आवेशयावेशय) ॐ ह्रीं हनुमन् फट् ।

करन्यास इत्यादि ऊपर की तरह ही करें .