हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख माह का शुभारंभ 24 अप्रैल से हो रहा है. कल चैत्र की पूर्णिमा के समाप्त होते ही वैशाख की कृष्ण प्रतिपदा शुरू हो जायेगी. यह वैशाख हिंदू कलेंडर का दूसरा महीना है. इस माह में भगवान बुद्ध और भगवान परशुराम का जन्म हुआ था. इस माह का बेहद खास महत्व है. वैशाख को ब्रह्माजी ने सब मासों में उत्तम बताया है. इस माह में वृषभ संक्रांति के बाद से गर्मी बढ़ जाती है. पौराणिक कथा के अनुसार इस महीने में देवी-देवता जल में निवास करते हैं. मान्यता है कि वैशाख माह में जो प्याऊ लगवाता है, वह देवता, ऋषि एवं पितरों सबको तृप्त करता है. कहते हैं कि इस माह में किसी एक भी व्यक्ति को भी जल पिला दें तो वह ब्रह्मा, विष्णु एवं शिव को भी प्रसन्न करने वाला होता है. वैशाख माह में कई महत्वपूर्ण त्यौहार और व्रत पड़ते हैं. इनमें से प्रमुख त्योहार हैं- वरुथिनी एकादशी, अक्षय तृतीया, स्कन्द षष्टी सीता नवमी, शंकराचार्य जयंती और भगवान नृसिंह जयंती समेत आदि. वैशाख महीने में जल पात्र, कपड़े, जलदान, आम, सत्तू, पादुका, हवा झलने के लिए पंखे, छाया व्यवस्था, अन्न एवं फलदान करना श्रेष्ठ माना जाता है. व
वैशाख महीने के व्रत और त्यौहार –
27 अप्रैल- संकष्टी चतुर्थी व्रत
4 मई – वरुथिनी एकादशी, प्रभु वल्लभाचार्य जयंती
5 मई – प्रदोष व्रत
6 मई – शिव चतुर्दशी व्रत
7 मई – श्राद्ध अमावस्या
8 मई- अमावस्या, सतुवाई अमावस्या
10 मई- अक्षय तृतीया, भगवान परशुराम जयंती
11 मई- विनायकी चतुर्थी व्रत
12 मई -शंकराचार्य जयंती , रामानुज जयंती
13 मई – स्कन्द षष्टी
14 मई – गंगा सप्तमी ( वृषभ संक्रांति )
15 मई- बगलामुखी जयंती, मासिक दुर्गाअष्टमी
16 मई – सीता नवमी
19 मई – मोहिनी एकादशी व्रत, परशुराम द्वादशी
20 मई- प्रदोष व्रत
22 मई – भगवान नृसिंह जयंती, छिन्नमस्ता जयंती
23 मई – बुद्ध जयंती, वैशाखी पूर्णिमा, कूर्म अवतार जयंती , स्नान-दान पूर्णिमा
हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 24 अप्रैल को सुबह 05 बजकर 18 से मिनट से होगी और इसका समापन 25 अप्रैल को सुबह 06 बजकर 46 मिनट पर होगा. वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि का सूर्योदय 24 अप्रैल बुधवार को होगा. इसी दिन से वैशाख माह की शुरुआत होगी और इसका समापन 23 मई वैशाख पूर्णिमा के साथ होगा।

