सनातन धर्म में पूर्णिमा को बेहद शुभ तिथि माना जाता है इसलिए द्वादश राशियों की मासिक पूर्णिमा धर्म-कर्म और विशेष धार्मिक अनुष्ठानों के लिए प्रशस्त मानी गई हैं. इस तिथि में व्रत और लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है. चैत्र पूर्णिमा को बेहद शुभ माना गया है यह 23 अप्रैल को पड़ रही है. चैत्र पूर्णिमा पर पूजन व्रत करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और धन-धान्य की वृद्धि होती है. इस दिन गंगा स्नान, दान-पुण्य अवश्य करना चाहिए. पूर्णिमा में लक्ष्मी के मन्त्रों का जप और श्री-सूक्त का पाठ अत्यंत लाभकारी होता है. श्री सूक्त में आता है “चन्द्रांहिरण्यमयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह”. चन्द्र मंडल में देवी लक्ष्मी का ध्यान करते हुए मन्त्रों का जप करना चाहिए. पूर्णिमा में रात्रि जागरण करते हुए विधिपूर्वक ललिता सहस्रनाम का पाठ करने से धन लाभ होता है और इच्छित कामनाएं पूर्ण होती हैं. चन्द्र देव का पूजन आवश्य करना चाहिए और सोमाधिपति और माता लक्ष्मी को अर्ध्य प्रदान करना चाहिए.
मुहूर्त –
इस साल चैत्र मास की पूर्णिमा 23 अप्रैल सुबह 03 बजकर 25 मिनट पर शुरू होगी. इसका समापन अगले दिन 24 अप्रैल सुबह 05 बजकर 18 मिनट पर होगा. उदयातिथि के अनुसार चैत्र पूर्णिमा का व्रत पूजन 23 अप्रैल को होगा. चन्द्रोदय 06:25 PM होगा और पूजन का शुभ मुहूर्त सायं चन्द्रोदय के बाद 12:46 रात्रि तक रहेगा. पूर्णिमा का पूजन चन्द्रोदय के बाद ही करना चाहिए. दिन का शासक सूर्य है, रात्रि का शासक चन्द्र्मा है इसलिए रात्रि पूजन फलदायी होता है.
मंगलवार में पड़ने वाली चैत्र पूर्णिमा में हनुमान जन्मोत्सव भी मनाया जाएगा. इस दिन हनुमान जन्मोत्सव पर भगवान हनुमान की विशेष रूप से पूजा अर्चना की जाती है.

