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भारत में अनेकों मन्दिर चोरों की आस्था का केंद्र हैं. चोर मन्दिर की मूर्ति या दान पात्र या शिव लिंग पर लगे नाग भगवान को प्रणाम करके चुरा लेते हैं. पुजारियों ने चोरी के मुहूर्त भी बनाये हैं कि किस मुहूर्त में चोरी प्रशस्त रहेगा. उसी प्रकार बनियों के काले धंधे, लूटपाट और होर्डिंग के लिए भी मुहूर्त है जैसे चौघड़िया मुहूर्त. इस मुहूर्त में ही अमृतकाल आता है जिसको नरेंद्र मोदी ने बनियों की लूटपाट के लिए विशेष रूप से प्रयोग किया था. राहु काल भी चोरो का काल है. काशी के चोर भी भैरव की आज्ञा लेकर चोरी करते हैं और उन्हें भेंट प्रदान करते हैं.

राजस्थान के चित्तौड़गढ़ स्थित जोगनिया माता मंदिर ऐसा ही मन्दिर है. माता जोगणिया के मंदिर में मान्यता है कि चोर-डाकू माता से जेल से छूटने की मनोकामना मांगते हैं. अगर कोई चोर या अपराधी पुलिस की गिरफ्त से भागने में सफल होता है तो वो माता के मंदिर में हथकड़ी टांगकर अपनी मन्नत पूरी करता है.  मंदिर में हथकड़ी चढ़ाने आने वाले लोग गुप्त तरीके से यहां आते हैं और चुपचाप हथकड़ी टांग कर चले जाते हैं.

मंदिर में हथकड़ी चढ़ाने की परंपरा सालों से चली आ रही है. एक खबर के अनुसार कोई चोर यहां लोहे से बना जेल के गेट टांग गया है. यह ढ़ांचा जेल जैसा बना हुआ है. इस पर लोहे की जालियां और एक गेट भी लगा हुआ है। यह गेट टूटा हुआ बनाया गया है. मन्दिर के लोगों का मानना है कि कोई अपराधी जेल तोड़कर भागने में सफल हुआ होगा तब उसने यह काम किया.

यह चोरों का मन्दिर काफी पुराना है और ये देवी चौहानों की कुलदेवी मानी जाती हैं. देवी सबकी उपास्य हैं – देवता, राक्षस, यक्ष, किन्नर, चोर, डाकू सभी उनकी पूजा करते है और तदनुसार फल प्राप्त करते हैं. जो पुजारी चोरी के मुहूर्त निकालता है वह भी चौर्य कर्म का कुछ फल प्राप्त करता है.