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“मेरी माँ ने बीफ खाने से मना किया था कि हम हिंदू हैं. लेकिन मैंने जिज्ञासा में गौ मांस खाया और ये इतना पसन्द आया कि अब मैं रेगुलर बीफ़ खाती हूँ.” कंगना रानौत, भाजपा लोकसभा उम्मीदवार का पुराना बयान इस समय चर्चा में है. ऐसा विश्वास किया जा रहा है कि भाजपा के नेता और समर्थक खूब बीफ खाते हैं इसलिए बीफ न केवल महंगा हो गया बल्कि बीफ एक्सपोर्ट में भारत नम्बर एक बन गया है. लोगो को यह भी संदेह है कि बीफ उत्पादन और एक्सपोर्ट करने वाली कम्पनियों से 250 करोड़ लेने वाले नरेंद्र मोदी भी तो गौमांस नहीं खाते? आरएसएस एक नास्तिको और ठगों का संगठन है इसलिए इन धूर्तों के लिए बीफ खाना कोई बड़ी बात नहीं है.

गौरतलब है कि हिंदुत्व की घटिया विचारधारा का प्रवक्ता ठग सावरकर मांसाहारी था और बीफ-सूअर सब खाता था लेकिन हिन्दुओं को शाकाहारी खाने का उपदेश किया करता था. अक्टूबर 1906 में सावरकर की पहली मुलाक़ात लन्दन में युवा मोहनदास करमचंद गांधी से हुई, जो लंदन के इंडिया हाउस में आए थे, जहां सावरकर रहता था. गांधी जब उससे राजनीतिक विचार-विमर्श करने गए थे तब सावरकर अपना खाना पका रहा था. गाँधी को बीच में रोक कर सावरकर ने पहले खाना खा लेने का अनुरोध किया. एक चितपावन ब्राह्मण को झींगा पकाते देखकर पक्के शाकाहारी गांधी दंग रह गए और उन्होंने खाना खाने से माफी मांग लिया था. सावरकर गौहत्या का विरोधी नहीं था और गौरक्षक दलों का घोर विरोधी था. दिलीप मंडल जो इण्डिया टुडे का एडिटर था तथा पहले कट्टर आरएसएस विरोधी था और अब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का समर्थक सदस्य है और भाजपा-मोदी के बड़े चापलूसों में शरीक है, उसने ट्विटर पर सावरकर के बारे में लिखा था –

आरएसएस-भाजपा का यही असली चरित्र है. कंगना रनौत एक बेहया, मुंहफट और बिगडैल औरत है जो टीनेज में घर से भाग गई थी और ड्रग में लम्बा समय बिताया. उसके सम्बन्ध अनेकानेक शादीशुदा मर्दों से हुए, ऐसे में उससे सभ्यता और संस्कृति की क्या अपेक्षा की जा सकती है. भाजपा में ऐसे लोगो की बहुतायत है. आरएसएस ऐसे लोगों का ही सन्गठन है.