सनातन हिन्दू धर्म में स्नान का बड़ा महात्म्य है. हिन्दू धर्म के विशेष पर्वो और तिथियों में स्नान का शास्त्रीय प्रावधान किया गया है. सूर्य संक्रांति और बृहस्पति की संक्रांति के अवसर पर भी स्नान का महत्व है. संक्रांतियों पर ही सिंहस्थ कुम्भ इत्यादि महापर्व आते हैं. इन संक्रांतियों के अवसर पर विशेष ग्रह-योगों को भी जोड़ कर स्नानादि का मुहूर्त बनाया गया है. इस प्रकार शास्त्रों में दिए गये काल के अनुसार स्नान और पूजन करने से अत्यंत शुभ होता है और श्रद्धालूओं को उससे महान पुण्य की प्राप्ति होती है. शिव पुराण में मिथुन और वृष को छोड़ कर दस राशियों में बृहस्पति-सूर्य संक्रांति में पवित्र नदियों में स्नान का फल बताया गया है. हम यहाँ संक्षिप्त में बृहस्पति और सूर्य की संक्रांतियों का महात्म्य दे रहे हैं –
बृहस्पति और सूर्य की मेष संक्रांति – बृहस्पति सूर्य के मेष राशि में स्थित होने पर नैमिषारण्य और बदरिकाश्रम में स्नान और पूजन करने से ब्रह्म लोक की प्राप्ति होती है.
बृहस्पति और सूर्य की कर्क संक्रांति -बृहस्पति-सूर्य की कर्क संक्रांति में सिन्धु नदी में स्नान और केदारनाथ में स्नान-पूजन से ज्ञान की प्राप्ति होती है.
बृहस्पति और सूर्य की सिंह संक्रांति– बृहस्पति और सूर्य की सिंह संक्रांति पर भाद्र मास में गोदावरी नदी के जल में स्नान से शिव लोक की प्राप्ति होती है. ऐसा स्वयं शिव ने उपदेश किया था.
बृहस्पति और सूर्य की कन्या संक्रांति– बृहस्पति और सूर्य की कन्या संक्रांति के अवसर पर यमुना और सोनभद्र नदी में स्नान से धर्मराज और गणेश का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उनके द्वारा महान भोग की प्राप्ति होती है.
बृहस्पति और सूर्य की तुला संक्रांति – बृहस्पति और सूर्य की तुला संक्रांति के अवसर पर कावेरी में स्नान करने पर भगवान विष्णु की असीम कृपा मिलती है और श्रद्धालु की इच्छाएं पूर्ण हो जाती हैं.
बृहस्पति और सूर्य की वृश्चिक संक्रांति– बृहस्पति और सूर्य की वृश्चिक संक्रांति पर मार्गशीर्ष महीने में शुभ तिथि और मुहूर्त में नर्मदा नदी में स्नान करने से विष्णु लोक की प्राप्ति होती है.

बृहस्पति और सूर्य की धनु संक्रांति– बृहस्पति और सूर्य की धनु संक्रांति पर तिरुपति स्थित स्वर्णमुखरी या स्वर्णमुखी नदी में स्नान और पूजन करने से शिव की कृपा सहित शिव लोक की प्राप्ति होती है.
बृहस्पति और सूर्य की मकर संक्रांति– बृहस्पति और सूर्य की मकर संक्रांति के अवसर पर माघ महीने में गंगा स्नान का माहात्म्य बहुत बड़ा है. इस अत्यंत शुभ काल में गंगा में स्नान, पूजन और दान से अक्षय पुण्य और भोगों की प्राप्ति और शिव का आशीर्वाद मिलता है. वह शिव लोक के बाद विष्णु लोक की प्राप्ति करने वाला होता है और ज्ञान प्राप्त कर मुक्ति लाभ करता है.
बृहस्पति और सूर्य की कुम्भ संक्रांति- बृहस्पति और सूर्य की कुम्भ संक्रांति में फाल्गुन महीने में गंगा में स्नान, गंगा तट पर श्राद्ध, पिंडदान से माता और पिता के दोनों कुलों के पितरो का उद्धार हो जाता है.
बृहस्पति और सूर्य की मीन संक्रांति- बृहस्पति और सूर्य की मीन संक्रांति पर कृष्णवेणी नदीं में स्नान पूजन का महात्म्य है. इस समय स्नान करने वाले के पापों का नाश होकर सुख की प्राप्ति होती है.

