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Turn crisis into an opportunity – Narendra Modi during Covid-19

भारत की आम जनता के स्वास्थ्य और उनकी जान की कभी कोई कीमत नरेंद्र मोदी ने नहीं समझी. कोविड-19 के मारक समय में जबकि गंगा लाशों से पट गई थी, मोदी ने दवा कम्पनियों से मौके का फायदा उठाने की गुहार लगाई थी और कहा था कि इस संकट के समय को बड़ा लाभ कमाने का अवसर समझना चाहिए. यह अवसर देख ठग रामदेव ने कोरोनिल किट निकाल दिया था. अब जो खुलासा हुआ है वह बहुत भयानक है. नरेंद्र मोदी ने ऐसी कम्पनियों से पैसा लिया जिनकी दवायें ड्रग टेस्ट में फ़ेल पाई गई थी. उन फार्मा कम्पनियों ने उन दवाओं को मेडिकल स्टोर में बेच कर खुब लाभ कमाया. ऐसा था मोदी का आपदा में अवसर का मन्त्र. मोदी मौत का सौदागर ही निकला. मोदी का इलेक्टोरल बांड का जानलेवा व्यापार रहा जिसमे चंदा लेकर इसने दवा के नाम पर “जहर” बेचने की छूट दी थी. पिछले 10 साल से करोड़ों भारतीय ड्रग टेस्ट में फेल जहरीला केमिकल खा रहे थे. इन दवाओं में कैंसर जैसी महंगी दवाएं भी थीं.

भारत में दवा, इलाज और मेडिकल सुविधाओं की बढ़ती क़ीमतें कोई छुपी हुई बात नहीं है. इस स्थिति में अगर ये पता चले कि हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज़, मलेरिया, कोविड या दिल की बीमारियों का इलाज करने वाली कई प्रचलित दवाओं के ड्रग टेस्ट फ़ेल होते रहे हैं तो आम लोगों के लिए ये एक चिंता का विषय है.

लेकिन अगर साथ-साथ ये भी नज़र आए कि जिन कंपनियों की दवाओं के ड्रग टेस्ट फ़ेल हुए उन्होंने सैकड़ों करोड़ रुपयों के इलेक्टोरल बॉन्ड ख़रीदकर राजनीतिक दलों को चंदे के तौर पर दिए तो बात और भी गंभीर हो जाती है. ऐसा ही कुछ देखने को मिल रहा है इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़े उस डेटा के विश्लेषण से जिसे स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद चुनाव आयोग को उपलब्ध करवाया और जिसे चुनाव आयोग ने सार्वजनिक किया.

डेटा को खंगालने पर ये सामने आया है कि 23 फ़ार्मा कंपनियों और एक सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल ने इलेक्टोरल बॉन्ड के ज़रिये क़रीब 762 करोड़ रुपए का चंदा राजनीतिक दलों को दिया. सबीआई ने जो डेटा पहली खेप में चुनाव आयोग को दिया था उसका विश्लेषण करने पर कुछ ऐसे उदाहरण दिखे जहां किसी साल किसी प्राइवेट कंपनी पर एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ईडी) या आयकर विभाग की छापेमारी हुई और उसके कुछ ही दिन बाद उस कंपनी ने इलेक्टोरल बॉन्ड ख़रीदे. ऐसे भी उदाहरण हैं जिनमें किसी कंपनी ने इलेक्टोरल बॉन्ड ख़रीदे और कुछ दिन बाद उस पर छापेमारी हुई और उसके बाद कंपनी ने फिर इलेक्टोरल बॉन्ड ख़रीदे. इन कंपनियों में भी कुछ फ़ार्मा कंपनियां और एक अस्पताल शामिल हैं. 

यह रिश्वत आपके जीवन के साथ खिलवाड़ नहीं तो क्या है?

1-गुजरात की कंपनी Torrent Pharmaceutical की बनाई 3 दवाएं ड्रग टेस्ट में फेल हुईं

इस कंपनी ने BJP को 61 करोड़ का चंदा दिया

2-Cipla Limited कंपनी की बनाई दवाओं के 7 बार ड्रग टेस्ट फ़ेल हुए

इस कंपनी ने BJP को 37 करोड़ का चंदा दिया

3-Sun Pharma कंपनी की बनाई गई दवाओं के 6 बार ड्रग टेस्ट फ़ेल हुए

Sun Pharma ने BJP को 31.5 करोड़ रुपए का चंदा दिया

4-गुजरात की कंपनी Intas Pharmaceuticals की बनाई गई दवा का भी ड्रग टेस्ट फ़ेल हुआ

Intas Pharmaceuticals ने 20 करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड ख़रीदे और सारा चंदा BJP को दिया

5-Glenmark Pharmaकंपनी की दवाओं के 6 ड्रग टेस्ट फ़ेल हुए

Glenmark Pharma ने 9.75 करोड़ रुपए के बॉन्ड ख़रीदे और सारा चंदा BJP को दिया

full report here at bbc