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टाइटन (Titan), या शनि षष्टम, सौर मंडल के शनि ग्रह का सबसे बड़ा चंद्रमा है. कुल ५.१५० किलोमीटर व्यास वाला ये चंद्रमा पृथ्वी के चंद्रमा से १६२४ किलोमीटर बड़ा है. यह सौर मंडल के सभी चंद्रमाओं में वातावरण वाला एकमात्र ज्ञात चंद्रमा है, और पृथ्वी के अलावा एकमात्र ऐसा खगोलीय पिंड है जिसके सतह पर नहरों, झीलों, सागरों आदि के ठोस प्रमाण उपलब्ध हैं. यूरोपीय-अमेरिकी कासीनी अंतरिक्ष यान के साथ गया उसका अवतरण यान, हायगन्स, १६ जनवरी २००४ को टाइटन के धरातल पर उतरा जहाँ उसने भूरे-नारंगी रंग में रंगे टाईटन के नदियों-पहाडों और झीलों-तालाबों वाले चित्र भेजे हैं. हायगन्स जब इसकी सतह पर उतरा तो उसमे 10 फिट गहरा धंस गया था. इस उपग्रह के बादल मुख्यतः जहरीली गैसों ईथेन और मीथेन के बने हैं. इन बादलों से मुख्यतः तरल मीथेन की वर्षा होती है. होयगन्स को अपनी यात्रा के दौरान ऐसी कोई बरसात नहीं मिली. यहाँ तरल मीथेन गैस वर्षा से उसके गैस बनने और बरसने का चक्र पृथ्वी पर पानी की बरसात के समान ही होता है.

शनि के इस चन्द्रमा और पृथ्वी के बीच कई समानताएं हैं. टाइटन पर ज्वालामुखी हैं और यहां खाइयां, नदियों के पाट और मुहाने भी हैं, किन्तु बड़े पहाड़ नहीं हैं. बहुत कम क्रेटर-जैसे गोलाकार गड्ढे हैं. यहाँ किसी प्रकार का जीवन नहीं है. वातावरण अत्यंत ठंडा है. तरल मीथेन यहां पानी का काम करती है. यह चंद्रमा पृथ्वी की अपेक्षा बेहद ठंडा है और औसत तापमान शून्य से भी १८० डिग्री सेल्सियस नीचे है, जो साइबेरिया से भी तीन गुना ठंडा है. नदियों और झीलों में पानी के बदले तरल मीथेन गैस बहती है. ज्वालामुखी से बर्फीली अमोनिया निकलती है.