हिंदू पंचांग के मुताबिक हर महीने की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन श्री स्कंद स्वामी का पूजन किया जाता है और षष्ठी का व्रत रखा जाता है. इस दिन भगवान मुरुगन ने तारकासुर और सिंहमुख नामक राक्षसों का वध किया था. इस माह ये 15 मार्च 2024 को रखा जाएगा. आज के दिन भगवान शिव और मां पार्वती के प्रिय देवो के सेनापति स्वामी कार्तिकेय की पूजा की जाती है. स्वामी कार्तिकेय का दूसरा नाम स्कन्द भी है इसलिए इस व्रत को स्कन्द षष्ठी कहते हैं. कार्तिकेय का जन्म स्कन्द या नरकट के पौधों के बीच हुआ था. परिवार में सुख-शांति रखने के लिए और संतान सुख की प्राप्ति हेतु ये व्रत बहुत ही खास माना जाता है. शत्रु पर विजय और प्रसिद्धि प्राप्त करने के लिए भी षष्टी तिथि में कुमार कार्तिकेय की पूजा की जाती है. मान्यताओं के अनुसार, भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से सुख-समृद्धि, सौभाग्य और सफलता की प्राप्ति होती है.
स्कंद षष्ठी मुहूर्त –
सूर्योदय और सूर्यास्त के मध्य में जब पञ्चमी तिथि समाप्त होती है या षष्ठी तिथि प्रारम्भ होती है तब यह दोनों तिथि आपस में संयुक्त हो जाती है और इस दिन को स्कन्द षष्ठी व्रत के लिए चुना जाता है.
स्कंद षष्ठी आरंभ: 11:25 पी एम, मार्च 14
स्कंद षष्ठी समाप्त: 15 फरवरी 2024 प्रातः 10:13 बजे
मन्त्र-ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महा सैन्या धीमहि तन्नो स्कंदा प्रचोदयात:
देव सेनापते स्कंद कार्तिकेय भवोद्भव।
कुमार गुह गांगेय शक्तिहस्त नमोस्तु ते॥
स्कंद षष्ठी पूजा विधि-
1. स्कंद षष्ठी व्रत के दिन सुबह जल्दी उठें और पूजा स्थल की साफ-सफाई करें.
2. भगवान का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें. इस दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति को दक्षिण दिशा में मुंह करके भगवान कार्तिकेय की पूजा करना चाहिए.
3. इसके बाद भगवान कार्तिकेय के साथ शिव पार्वती की प्रतिमा की स्थापना करना चाहिए.
4. पूजा के दौरान घी, दही, जल और पुष्प से पूजा करना चाहिए. कलावा हल्दी, अक्षत, चंदन, इत्र चढ़ाएं और नैवेद्य अर्पित करें
5. इसके बाद कार्तिकेय के मंत्र का जप करें.
6. मौसमी फल फूल मेवा चढ़ाएं, पूजा में त्रुटि के लिए भगवान कार्तिकेय से क्षमा मांगें.

