
हड़ताल मृदंग हूंहकट हाकट धाकट धीकट नाद धरै
दहू दाह धीधकट विकट तोकट फट्ट फरंगत फैर फरै धधडे नग धोम धधाकृट धीकट
हड़ताल मृदंग हूंहकट हाकट धाकट धीकट नाद धरै
हड़ताल मृदंग हूंहकट हाकट धाकट धीकट नाद धरै
दहू दाह धीधकट विकट तोकट फट्ट फरंगत फैर फरै धधडे नग धोम धधाकृट धीकट
धधडे धकधो धधाकृट धीकट धहकट धौर कृताल धरै
परमेश्वर मौन धरी पशुपालन काम पृजालण नाज़ करै काम पृजालण नाज़ करै
“शंभो…”
हडडं खडडं ब्रह्मांड हले डडडं डडडा कर डाक बजे.
जळलं दंग जवाल कराल जरें सचरं थडडं गण साज सजे कड़के धरणी कडडं कडडं हडडं मुख नाथ ग्रजंत हरे
परमेश्वर मोज धरी पशुपालण काम प्रजाळण नाच करें, हे जी काम प्रजाळण नाच करें हे जी काम प्रजाळण नाच करें
“शंभो…”
पण देवो नी आगळ दूत… अन रुपाळा कायम रियें पण भेळा भेळा राखे भूत.. एवो तो कैलास वाळो कागड़ा..
नाचत नी शंका मृगमृग पंखा घममम घमका घुंघरू का.. ढोलुं का ढमका होवद हमका..
डम.. डम.. डम.. डम.. डम.. डम डीमाग डीम डीमाग डीम डीमाग..
हे डमडम डमकां डमरूं का रणतूर रणंका भेद भणंका गगन झणंका गहरेशा..
जयदेव.. जयदेव.. जयदेव सिद्धेशा हरण कलेशा मगन हमेशा.. माहेशा.. हे जी मगन हमेशा.. माहेशा..
“शंभो…”
हरिओम हर.. हर.. हर.. हर.. हर.. हर.. महादेव.. शंभो.. त्रिपुरारी जटाधर शंकर.. शंकर.. शंकर.. शंकर.. शंकर.. शंकर.. महादेव…
हरिओम हर हर ना ज्यां नाद त्यां शशिभाण उगे दिन रात.. तुज विण दिप “प्रदिप” ना वात.. शिव छो कण कण मां हयात.. शिव ने भजो दिन ने रात.. शिव ने भजो दिन ने रात..