नर्मदा जयंती माघ सप्तमी को मनाई जाती है, इस बार यह 16 फरवरी दिन शुक्रवार को मनाई जाएगी . ऐसा माना जाता है कि माघ शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को नर्मदा जी प्रकट हुई थी. पुराणों के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी के दिन भगवान शंकर ने घोर तपस्या करके संसार का कल्याण करने के लिए मध्याह्न काल में मां नर्मदा को प्रकट किया था, इसलिए इस दिन नर्मदा का प्रकटोत्सव मनाया जाता है. सप्तमी तिथि के दिन अभिजीत मुहूर्त में नर्मदा में स्नान करके पूजन करने से पुण्य मिलता है. आज के दिन नर्मदा में स्नान और पूजन का खास महत्व है. शास्त्रों के अनुसार गंगा में स्नान करने से जो पुण्य मिलता है, वहीं पुण्य मां नर्मदा के दर्शन मात्र से ही मिल जाता है. नर्मदा सप्त पुण्यदाई नदियों में एक है. मध्य प्रदेश में नर्मदा अत्यंत श्रद्धा का विषय है. नर्मदा तट पर हजारों संत साधना करते पाए जाते हैं. नर्मदा जयंती के दिन नर्मदा में स्नान, पूजन और दान करने से विशेष पुण्य लाभ की प्राप्ति होती है.
पंचांग के अनुसार नर्मदा जयंती माघ मास के शुकल पक्ष की सप्तमी तिथि है, इस बार 15 फरवरी को सुबह 10 बजकर 12 मिनट से सप्तमी तिथि की शुरुआत हो चुकी है और 16 फरवरी को सुबह 8 बजकर 54 मिनट पर समाप्त हो हो जाएगी. उदया तिथि के अनुसार नर्मदा जयंती का पर्व 16 फरवरी को मनाया जा रहा है. आज किसी पवित्र नदी में स्नान करने का विधान है. मां नर्मदा के प्रकट होने के समय अभिजीत मुहूर्त में (लगभग 11 बजे) स्नान, पूजन करके आरती करने से कई गुना पुण्य मिलेगा. अभिजीत मुहूर्त में स्नान करके सूर्यदेव को अर्घ देकर नर्मदा पूजन करने का विधान है. नर्मदा पुराण और स्कंद पुराण में बताया गया है कि नर्मदा के तट पर जो पुण्य कार्य करते हैं, वो कई गुना होकर प्राप्त होता है. मां नर्मदा को पीले वस्त्र अत्यधिक प्रिय हैं, इसलिए पूजन के समय पीला वस्त्र मां नर्मदा को अर्पित करना चाहिए.

