देश में किसान आंदोलन फिर से मोदी सरकार के लिए गले की हड्डी बन चूका है और विकराल रूप लेता नजर आ रहा है. हरियाणा और पंजाब की सीमा पर पुलिस और प्रदर्शनकारियों (Farmer Protest) के बीच तीखी झड़प देखने को मिली. इस दौरान नरेंद्र मोदी ने कार्पोरेट के हितों में किसानो पर न केवल लाठी चार्ज करवाया बल्कि बम भी गिरवाये जिससे सैकड़ो किसान चोटिल हुए और अनेक की आंख घायल हुई. इसी बीच आर्ट ऑफ लिविंग का संस्थापक ठग श्री श्री रविशंकर ने किसान आंदोलन (Kisan Andolan) को मोदी भक्तों की तरह ही बताया कि ये 20000 किसान थोड़े लोग हैं अर्थात पंजाब के खालिस्तानी आतंकवादी हैं. इस वक्तव्य में उसने मोदी के विकास की तारीफ भी की. इस धूर्त को क्या नहीं पता कि देश की अर्थव्यवस्था रसातल में है और अंतराष्ट्रीय विकास के पैमानों या इंडेक्स पर भारत नाजीरिया आदि पिछले देशों की सूची में आता है ?
श्री रविशंकर ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर लिखा, ‘किसानों का एक छोटा सा हिस्सा पूरे देश पर हुकूमत नहीं चला सकता. झूठे वादों से आकर्षित न हों. भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था में किसी को बाधा नहीं डालनी चाहिए.’ अपने इस पोस्ट के साथ किसान प्रोटेस्ट 2024, किसान प्रोटेस्ट और किसान आंदोलन 2024 जैसे हैश टैग का भी इस्तेमाल किया. दमनकारी सत्ता के पक्ष में बोलते ही किसानों की तरफ से और जनता की तरफ से इस धूर्त को मुंहतोड़ जवाब दिया गया. धार्मिक लबादे में लिपटे ये कालनेमि जनविरोधी और जनतंत्र के दुश्मन हैं. इन धूर्त ठगों को जनता अपने जिलों में, राज्यों में प्रविष्ट न करने दे. ये धूर्त किसी भी स्तर से आध्यात्मिक नहीं हो सकते.

भागवत पुराण और भगवद्गीता में लोकयज्ञ को ही धर्म कहा गया है. यदि पूंजीपति संसाधनों की लूटपाट करता है, अपनी तिजोरी भरता है और उससे लोक कल्याण नहीं होता तो वह यज्ञ की अवधारणा के खिलाफ है. “यज्ञार्थात्कर्मणोऽन्यत्र लोकोऽयं कर्मबन्धनः” द्वारा भगवान ने यही उपदेश किया है. लोककल्याण के इतर किये गये सभी कर्म पाप कर्म की श्रेणी में आते हैं, इसे भगवान ने चोरी कहा है. भागवत पुराण में राजा पृथु से भूदेवी ने यह बात कही थी –
पुरा सृष्टा ह्योषधयो ब्रह्मणा या विशाम्पते ।
भुज्यमाना मया दृष्टा असद्भिरधृतव्रतै: ॥
अपालितानादृता च भवद्भिर्लोकपालकै: ।
चोरीभूतेऽथ लोकेऽहं यज्ञार्थेऽग्रसमोषधी: ॥
ब्रह्मा जी ने जिस अन्न, औषधियों और पृथ्वी के गर्भ में स्थित रत्नादि को उत्पन्न किया था वह लोकयज्ञ अर्थात जनता के वेलफेयर के लिए किया था, ना कि अडानी को विश्व का सबसे धनी व्यक्ति बनाने के लिए किया था. हे राजन, मेरा दोहन अधर्मी और दुराचारी कर रहे हैं इसलिए मेरा पालन भी ठीक से नहीं हो पा रहा है. हे लोक रक्षक ! राजाओं ने मेरा पालन करना छोड़ दिया है. इसलिए सभी दोहन करने वाले चोर हो गये हैं.

अडानी को और धनी बनाने के लिए छत्तीसगढ़ के जंगलो को बेतरतीब काटा जा रहा है, उसका विरोध करने की जगह जनजातियों को देशद्रोही बताया जा रहा है. किसान अपनी फसल का मूल्य मांग रहे हैं तो देशद्रोही हैं ?
पृथु ने भूदेवी को अपनी पुत्री के रूप में वरण किया था. राजा को प्रकृति की रक्षा पुत्री की तरह ही करना चाहिए. पुत्री का पालन किया जाता है उसका दोहन नहीं किया जाता है. प्रकृति का बेतरतीब दोहन और लूटपाट से पर्यावरण खत्म हो रहा है, जनता पीड़ित है. जो सरसों का तेल 70 रूपये किलो मिलना चाहिए वह 200 रूपये किलो मिल रहा है. इस दोहन से सिर्फ अडानी धनी हो रहा है और रविशंकर जैसे धूर्त भी इन पूंजीपतियों के काले धन से भोग कर रहे हैं. उसके बदले में ये जनविरोधी बाते करते हैं, जनता को बरगलाते हैं और अधर्म का विस्तार करते हैं.

