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गाणपत्य सम्प्रदाय सनातन धर्म के पांच प्रमुख सम्प्रदायों में एक है. वैष्णव सम्प्रदाय की एकादशी की तरह चतुर्थी इस सम्प्रदाय की सबसे महत्वपूर्ण तिथि है. गणेश विघ्नहर्ता हैं इनकी प्रथम पूजा करने का विधान है. हर महीने शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी मनाई जाती है लेकिन माघ महीने की विशेष महत्ता है. माघी गणेश चतुर्थी को माघी विनायक चतुर्थी या माघी गणेश जयंती के नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि इस दिन गणेश जी का जन्म हुआ था. इस बार 13 फरवरी को माघ माह की विनायक चतुर्थी पड़ रही है. इस दिन ही सूर्य की कुम्भ संक्रांति भी है. इस दिन विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश की पूजा-उपासना की महत्ता बताई गई है. मान्यता है इस विनायक चतुर्थी के दिन सच्ची श्रद्धा और भक्ति से गणपति की पूजा करने वाले की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. साथ ही सभी दुःख, संकट और क्लेश दूर हो जाते हैं.

विनायक चतुर्थी मुहूर्त –

पंचांग के अनुसार इस बार विनायक गणेश चतुर्थी पर सर्वार्थ सिद्धि योग है. सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 07 बजकर 04 मिनट दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक है. उदयातिथि के अनुसार माघी गणेश चतुर्थी 13 फरवरी 2024, मंगलवार के दिन मनाई जाएगी. पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 29 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजकर 42 मिनट तक रहेगा. इस दिन चंद्र दर्शन को वर्जित माना गया है इसलिए सुबह 9 बजकर 18 मिनट से लेकर रात 10 बजकर 4 मिनट तक चंद्र देवता के दर्शन न करें.

सकट चतुर्थी पूजन –

माघ की इस विनायक चतुर्थी में गणपति की विधि पूर्वक पूजा करके उन्हें मोदक सहित अन्यान्य पदार्थो का भोग लगाना चाहिए. धन प्राप्ति के लिए गणेश को गुड़ में देसी घी मिलाकर भोग लगाएं. भगवान श्रीगणेश की पूजा के समय ॐ गं गणपतये नम: मंत्र का जाप करें. भगवान गणेश जी को दूर्वा अधिक प्रिय है. विनायक चतुर्थी के दिन पूजा के दौरान दूर्वा का प्रयोग किया जाता है. पूजा के दौरान गणेश जी को दूर्वा अवश्य अर्पित करें. शमी के पेड़ की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने से भी भगवान गणेश जी प्रसन्न होते हैं. ऐसा करने से सभी दुःख और कष्ट दूर होते हैं और आर्थिक तंगी से भी मुक्ति मिलती है. भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने के लिए विनायक चतुर्थी का दिन उत्तम है.

गजाननं भूत गणादि सेवितं
कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्।
उमासुतं शोक विनाशकारकम्
नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्।।

किसी भी देवता की पूजा में किसी स्तोत्र का पाठ जरुर करना चाहिए. पार्वती नन्दन गणपति के अनेक स्तोत्र प्रसिद्ध हैं, उनमे से किसी एक स्तोत्र का पाठ करें.