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ग्रहों की महादशा के दुष्प्रभाव से बचने के लिए या दशा में अशुभ फल प्राप्त हो रहा हो ऐसे में ग्रहों के कुछ विशेष व्रत नक्षत्र के अनुसार करने पर बहुत लाभकारी होते हैं. ये व्रत अचूक समाधान हैं. ज्योतिष में ग्रह सिर्फ सात होते हैं, दो छाया ग्रह हैं. इन सात ग्रहों के ही दिन या वार होते हैं, दिनों के ये शासक होते हैं. ये सात ग्रह ही सम्वत्सर के भी शासक बनते हैं. इन ग्रहों के वार में उनके नक्त व्रत करने का विधान शास्त्रों में है. इन व्रतों से उन ग्रहों का दुष्प्रभाव खत्म हो जाता है.

सूर्य के लिए व्रत – रविवार को जिस दिन हस्त नक्षत्र हो या पुनर्वसु नक्षत्र हो उस दिन सर्वौषधि स्नान से सूर्य जनित रोगों से मुक्ति मिलती है. इस दिन में श्राद्ध करने से पितृदोष इत्यादि खत्म होते हैं और व्यक्ति सात जन्म तक निरोगी होता है. हस्त नक्षत्र युक्त रविवार से प्रारम्भ कर हस्त नक्षत्र युक्त रविवार को एकवर्ष का नक्त व्रत करने और व्रत में सूर्य देव का अर्घ्य सहित पूजन करने से सभी सूर्य दोष कष्ट खत्म होते हैं और मनुष्य को सब कुछ मिल जाता है.

चन्द्रमा के लिए व्रत – चित्रा नक्षत्र युक्त सोमवार के सात सोमवार नक्त व्रत करने से मनुष्य सभी सुखों को प्राप्त करता हैं. इस नक्त व्रत को करते समय गौरी पूजन और चन्द्र पूजन करना चाहिए. इससे चन्द्रमा के दोष खत्म होते हैं.

मंगल के लिए वत- मंगल के नक्त व्रत स्वाती नक्षत्र से प्रारम्भ कर सात नक्त व्रत करें और व्रत के दौरान स्कन्द स्वामी अर्थात कुमार कार्तिकेय भगवान का शिव मन्दिर में पूजन करें. इससे मंगल सम्बन्धी पीड़ा का नाश होता है. जातक सभी दुखों से पार चला जाता है, उसका जीवन सुखमय हो जाता है.

बुध के लिए व्रत –बुध के दोष के लिए विशाखा नक्षत्र युक्त बुधवार को ग्रहण करना चाहिए. इस प्रकार बुधवार को नक्त व्रत प्रारम्भ करना चाहिए और सात नक्त व्रत करना चाहिए. इस नक्त व्रत को विष्णु पूजन के साथ करना चाहिए. इससे बुध जनित सभी पीडाओं का नाश हो जाता है.

बृहस्पति के लिए व्रत – गुरु दोष काफी कष्टदायक हो जाता है. गुरु दोष से सन्तानहीनता और दुःख दरिद्रता की प्राप्ति होती है. बृहस्पति के लिए अनुराधा नक्षत्र में नक्त व्रत का प्रारम्भ करना चाहिए. इस प्रकार गुरु पूजन, ब्राह्मण को दान पूर्वक सात नक्त व्रत करने से गुरु दोष की निवृत्ति होती है और सुख की प्राप्ति होती है.

शुक्र के लिए व्रत- शुक्र दोष की निवृति के लिए शुक्त नक्त व्रत अचूक उपाय है .शुक्र के लिए ज्येष्ठा नक्षत्र युक्त नक्त व्रत को ग्रहण करना चाहिए. इस व्रत में महालक्ष्मी पूजन करना चाहिये और इस प्रकार सात नक्त व्रत पूर्ण करना चाहिए. इस व्रत से अशुभ शुक्र की महादशा जनित पीड़ा खत्म होती है.

शनि के लिए व्रत – शनि महादशा और शनि जनित पीड़ा सबसे बदतर होती है. इससे पार पाने का यह सबसे बेहतर उपाय है. शनि के लिए मूल नक्षत्र में नक्त व्रत उठाना चाहिए और सात नक्त व्रत करना चाहिए. इस दौरान शनि का पूजन और अभिषेक करना चाहिए. इस प्रकार सात नक्त व्रत करने से शनि जनित पीड़ा का नाश होता है.

क्या है नक्त व्रत – नक्त व्रत उसे कहते हैं जिसमे दिन में भोजन का त्याग किया जाता है अर्थात दिन भर व्रत करते हैं. इस व्रत के भोजन सायं को सूर्य अस्त होने के बाद जब तारा दिखने लगे तब किया जाता है. नक्त व्रत में हविष्य का भोजन करना, सत्य बोलना, भूमि पर शयन करना इत्यादि कर्म करने चहिये. भोजन अल्प करना चाहिए. हविष्यान्न में तेल में पकी हुई चीज नहीं होती. अगहनी चावल को हविष्यान्न कहा जाता है और इसी का उपयोग करना चाहिए.