जगनाथपुरी गोवर्धन मठ के स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से गोहत्या पर तत्काल प्रभाव से पूर्ण प्रतिबंध लगाने की अपील की थी. उन्होंने अपने वीडियो संदेश में भारत में कृषि और अन्य समृद्धि के लिए गौवंश की श्रद्धा और महत्व का उल्लेख किया था. उन्होंने मोदी और अमित शाह से अनुरोध किया कि वे मानवता के खिलाफ गोहत्या की घटनाओं के लिए भारत पर लगे काले दाग को मिटाने के लिए सक्रिय हों. यह उस समय की बात है जब मोदी का हिंदुत्व गाय के नाम पर आतंक फैला रहा था तथा दूसरी तरफ बीफ निर्यात में रिकोर्ड भी टूट रहा था. यह एक ऐसा विरोधाभास है जिसका उत्तर सिर्फ मोदी को ही पता है. यह विरोधाभास और ढोंग ही आरएसएस का वास्तविक चरित्र.
पुरी शंकराचार्य की अपील का कोई समाधान नहीं मिला. भारत के शंकराचार्य, प्रमुख धर्म गुरुओं और साधु महात्मा पिछले दस साल से गौवंश की रक्षा के लिए संघर्षरत हैं और गोहत्या पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं. डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने भी भारतीय संविधान के प्रावधानों के तहत भारत में गोहत्या पर प्रतिबंध लगाने के लिए पीएम को पत्र लिखा था लेकिन इनकी बात को भी नजरंदाज किया गया. सुब्रमण्यम स्वामी गोहत्या प्रतिबन्ध की की लड़ाई के साथ साथ अयोध्या राममन्दिर पर आरएसएस के कब्जे के बाद मिशन के तहत अब किसी भी मन्दिर पर राजनीतिक शक्ति से आरएसएस कब्जा न कर लें इसके लिए आन्दोलन कर रहे हैं.
जिस तरह भाजपा ने हिंदू वोट पाने के लिए शास्त्रों में वर्णित सभी पवित्र नियमों का उल्लंघन करते हुए अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर का उद्घाटन करवाया है और मन्दिर ट्रस्ट पर कब्जा किया है. उससे सनातन धर्म की परम्परा को संरक्षित कर चलने वाले धर्म गुरुओं और संत समाज की ऑंखें खुल गईं हैं. आरएसएस-वीएचपी-बीजेपी नियंत्रित श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने 2024 की चुनावी सफलता प्राप्त करने के लिए कलयुगी प्रतिष्ठा कराई लेकिन गौमाता की रक्षा के लिए जन्म लेने वाले श्री राम और ‘श्री राम की मर्यादा’ का उल्लंघन करते हुए ‘गौरक्षा’ और ‘गौहत्या पर प्रतिबंध’ के मुद्दे को खारिज कर दिया. आरएसएस-वीएचपी-बीजेपी और राम जन्मभूमि ट्रस्ट में किसी को भी ‘गौरक्षा’ या ‘गौहत्या पर प्रतिबंध’ के लिए कोई दिलचस्पी नहीं है. आपको याद दिला दें कि इन्होने गाय और बीफ पर 2014 से 2019 के बीच देश भर में आतंक फैलाया था और सैकड़ों मुस्लिम भाइयों पर लिंचिग किया गया जिसमे अनेको की मृत्यु हो गई थी. इस देश में इतना बड़ा अमानवीय कृत्य और पाप पहले कभी नहीं हुआ था. गौरतलब है कि इस हिंसा के बीच ही बीफ निर्यात में कई गुना वृद्धि हुई.

क्या बीफ एक्सपोर्ट इंडस्ट्री से मिलकर आरएसएस-हिंदुत्व कार्य नहीं कर रहा था? गाय पर हिंसा सिर्फ दिखावा था, हिन्दू समाज को बरगलाने और तुष्ट करने की नीति थी? बीफ निर्यात की बढ़ोत्तरी तब तक जारी रही जब तक भारत दुनिया का नम्बर एक बीफ निर्यातक नहीं बन गया. यह कैसे हुआ? किस नीति के तहत यह विकास हुआ ? इस प्रश्न का जवाब भ्रष्ट संघ के नेता नहीं दे सकते. भाजपा शासित राज्यों में ही सबसे ज्यादा गोशालाओं में गायें कटती हैं और साल दो साल बाद वहां से सैकड़ो कंकाल बरामद होते हैं. भाजपा-विहिप-बजरंगदल के नेता गौकशी करते हुए पकड़े जाते हैं. गौरतलब है कि अपने दूसरे चरण में वर्ष 2019 के बाद संघ-भाजपा ने मुस्लिम तुष्टिकरण करना प्रारम्भ किया और सनातन धर्म के मूल्यों और खुले मंच से हिन्दू धर्म के ग्रंथों की अवमानना भी करना शुरू कर दिया. आरएसएस-भाजपा द्वारा हिन्दू धर्म ग्रन्थों और सनातन धर्म के मूल्यों की अवमानना के सन्दर्भ में मोहन भगवत द्वारा दिए गये अनेकों स्टेटमेंट देखे जा सकते हैं. भाजपा-आरएसएस ने अपने दस वर्ष के कुशासन में हिंसा, अधर्म, राष्ट्रीय स्तर पर लूटपाट और धर्म स्थलों पर कब्जा के इतर और कुछ भी नहीं किया. भारतीय समाज में सनातन धर्म के मानवीय मूल्यों पर मानो ग्रहण रहा और साथ में सम्विधान की हत्या अलग से की गई.
ध्यान देने की बात यह है कि भारत की संसद के दोनों सदनों में पूर्ण बहुमत के बाद भी अपनी मुस्लिम तुष्टीकरण नीति के कारण भाजपा पूरे भारतीय क्षेत्र में गौहत्या पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक केंद्रीय अध्यादेश लाने से बचती रही और अब तो पार्टी अपने व्यावसायिक हैंडल (भारी दान प्राप्त करने के लिए) का समर्थन कर रही है जो गौहत्या, गोमांस निर्यात और हलाल व्यापार से संबंधित है. गौरतलब है नरेंद्र मोदी के पीएम बनने के साथ ही बीफ निर्यात में 300 गुना बढोत्तरी हुई थी. वर्तमान समय में आंकड़ों के अनुसार भारत का बीफ कारोबार के द्वारा 94.94 लाख मीट्रिक टन का निर्यात है. जबकि बीफ खाने वाले देशों जैसे ब्राजील का बीफ कारोबार है 18.55 लाख मीट्रिक टन, आस्ट्रेलिया का बीफ निर्यात 1.36 लाख मीट्रिक टन और अमेरिका का 11.2 लाख मीट्रिक टन है. भारत बीफ निर्यात में टॉप पर है.

