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जग्गी वसुदेव उर्फ़ सद्गुरु अक्सर अधर्म की बातें करता रहता है. सनातन धर्म के खिलाफ अनेक बार अपने विवादित बयानों के कारण सोशल मीडिया पर घिर चूका है. पिछली बार इस धूर्त ने यशोदा के मातृप्रेम को कामुकता से जोड़ते हुए कहा था कि यशोदा का कृष्ण के प्रति इन्सेस्ट भाव था. यह एक आर्टिस्ट बनने का दिखावा करता रहता है और देव विग्रह की भी आर्टवर्क मानता है. इसने शिवलिंगम की तर्ज पर योनि लिंग बना रखा है और कॉर्पोरेट क्षेत्र में कार्यरत लडकियों को उल्लू बनाता है. इसकी कम्पनी आजकल सब कुछ बेच रही है.यह पूजा-पाठ की सामग्री से लेकर आयुर्वेद और सेक्स बढ़ाने के लिए विशेष जूस तक बेच रहा है. इसका विज्ञापन बहुत बड़े स्तर पर चल रहा है.

इस धूर्त की हरकत एकबार फिर विवाद का विषय बन चुकी है. इस बार यह अग्नि देवता का अपमान करता हुआ दिख रहा है. सनातन धर्म में अग्नि से पवित्र कुछ भी नहीं है. साधु महात्मा अग्नि सेवन करते हैं, धुनी लगा कर उसका पूजन करते हैं. अग्निहोत्र हिन्दू गृहस्थों का आवश्यक अंग रहा है. हिन्दू धर्म में अग्नि को देवताओं का मुख कहा गया है, उनके द्वारा ही उन्हें आहुति प्राप्त होती है. भगवदगीता में अग्नि को दक्षिणायन का अभिमानी देवता माना गया है. माता दुर्गा को जावेदस कहा गया है. अग्नि देव एक दिशा आग्नेय के संरक्षक देवता हैं. इसके इतर जो धर्म को नहीं मानता या वैदिक न होकर तांत्रिक है या आध्यात्मिक है उसके लिए भी अग्नि उतनी ही पवित्र है. अग्नि कलाओं का कलश स्थापन में पूजन किया जाता है. हिन्दू धर्म की कोई पूजा अग्नि देव की पूजा के बगैर सम्भव नहीं है. ऐसे में जो स्वयं को सद्गुरु के रूप में प्रचारित करता है उसके द्वारा अग्नि का इस तरह अपमान सिर्फ उसकी अज्ञानता, उसकी अधार्मिकता, और आनाध्यात्मिकता को ही प्रकट करता है. गौरतलब है यह धूर्त भी शास्त्रों को न मानने वाले मोदी रिजीम के विधर्म बाबाओं में ही शरीक है.